उत्तर प्रदेशलखनऊ

उप्र में अब कोल्ड स्टोरेज के अभाव में नहीं सड़ेगा आलू

  • अनुमानित पैदावार से ज्यादा हुई कोल्ड स्टोरेज की क्षमता

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आलू अब कोल्ड स्टोरेज के अभाव में रोड पर नहीं सड़ेगा। राज्य में आलू की कुल पैदावार से ज्यादा क्षमता के कोल्ड स्टोरेज तैयार हो गए हैं। पिछले साल प्रदेश में 19 नये कोल्ड स्टोरेज बने हैं। प्रदेश में अब 162 लाख मीट्रिक टन क्षमता के कोल्ड स्टोरेज तैयार हो गए हैं। इस वर्ष अनुमान है कि 160 लाख मीट्रिक टन आलू का पैदावार हो सकता है।

उद्यान निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष प्रदेश में 620 हजार हेक्टेयर में आलू की खेती हुई है। उसकी लगभग खुदाई भी हो चुकी है। इस क्षेत्रफल में इस वर्ष अनुमानित 160 लाख मीट्रिक टन पैदावार हुई है। कहीं भी जितना पैदावार होता है, उतना कोल्ड स्टोरेज तक नहीं पहुंचता। कुल अनुमानित पैदावार 160 लाख मीट्रिक टन में से करीब 120 लाख मीट्रिक टन आलू कोल्ड स्टोरेज में पहुंचने का अनुमान है।

अभी कुछ वर्ष पहले तक प्रदेश में कोल्ड स्टोरेज की संख्या कम होने के कारण किसानों का आलू बाहर ही सड़ जाता था, लेकिन योगी सरकार ने कोल्ड स्टोरेज के प्रति जागरुकता लाकर और आर्थिक अनुदान देकर नये-नये कोल्ड स्टोरेज निर्माण का काम किया। इससे प्रदेश में कोल्ड स्टोरेज की क्षमता बढ़ गई है।

आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले वर्ष 158 लाख मीट्रिक टन आलू की पैदावार हुई थी, जो इस वर्ष अच्छी फसल होने के कारण उतने क्षेत्रफल में ही 160 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है। प्रदेश में पिछले वर्ष तक 1927 कोल्ड स्टोरेज थे, जो बढ़कर अब चालू हालत में 1941 हो गये हैं। इन सभी को मिलाकर कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने की क्षमता 162 लाख मीट्रिक टन हो गयी है।

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