बैंकिंग सेक्टर से वामपंथियों को बाहर का रास्ता दिखा रहे बैंक कर्मचारी
लखनऊ। राजनीति के क्षेत्र में भगवा परचम लहराने के बाद अब अन्य क्षेत्रों में भी भगवा का परचम फहरा रहा है। भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध यूनियन नेशनल आर्गेनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स ने बैंकिंग सेक्टर से वामपंथियों को बाहर का रास्ता दिखाने में जुट गयी है। नेशनल आर्गेनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स की सक्रियता के कारण बैंक कर्मचारी अब बैंकिंग सेक्टर से वामपंथियों को बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं।
जोनल आर्गनिसिंग सेक्रेटरी दिवाकर सिंह सिकरवार ने बताया कि कई वर्षों से बैंकिंग सेक्टर में कम्युनिस्टों का प्रभुत्व होने के बावजदू आज भी बैंक कर्मचारियों की स्थिति दयनीय बनी हुई है।
सिकरवार ने कहा कि वामपंथी यूनियनें घिसे-पिटे सिद्धान्तों के आधार पर संघर्ष करती हैं, जिसमें हड़ताल उनका प्रमुख हथियार है जबकि भारतीय मजदूर संघ राष्ट्रवादी सोच रखता है। मजदूर संघ हड़ताल को अपना आखिरी अस्त्र मानता है। इसलिए इससे जुड़े सभी संगठन भारत सरकार को विभिन्न प्रकार के आन्दोलनों के माध्यम से अपनी मांगें मनवाने के लिए विवश करता है। इन्हीं कारणों से बड़ी संख्या में बैंक कर्मचारी नेशनल आर्गेनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स से जुड़ रहे हैं।
भारतीय मजदूर संघ लखनऊ की जिला उपाध्यक्ष सीमा गुप्ता ने बताया कि
भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध यूनियन नेशनल आर्गेनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स का 20 वां त्रैवार्षिक अखिल भारतीय अधिवेशन 15 अप्रैल से लखनऊ में शुरू हो रहा है। अधिवेशन निरालानगर स्थित सरस्वती कुंज के माधव सभागार में होगा। दो दिवसीय अधिवेशन का समापन 16 अप्रैल को होगा। इस अधिवेशन में पूरे देशभर से राष्ट्रीयकृत बैंकों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
अधिवेशन में बैंकिंग सेक्टर की वर्तमान स्थितियों पर चर्चा होगी। इसके अलावा अन्य प्रस्तावों के साथ—साथ नई आर्थिक नीतियों के तहत बैंकों को निजी हाथों में सौंपने की सरकार की मंशा को निष्पल साबित करने पर भी विचार होगा। अधिवेशन में तीन वर्ष के लिए नई अखिल भारतीय कार्यसमिति का भी चुनाव होगा।