बारिश के कारण कुशीनगर के राजकीय आलू प्रक्षेत्र में बुआई पिछड़ी
- 10 हेक्टेयर के लिए मंगाया गया 400 कुंटल कुफरी का आलू बीज
कुशीनगर। अक्टूबर माह में अत्यधिक बारिश के चलते कुशीनगर जिले के बरवा गांव स्थित राजकीय आलू प्रक्षेत्र में आलू की बुआई पिछड़ गई है। इसका असर आलू के बीज उत्पादन पर भी पड़ सकता है। इसके चलते प्रक्षेत्र के अधिकारी व कर्मचारी चिंतित हैं। फार्म में आलू बुआई के लिए खेत तैयार है, लेकिन बारिश का पानी खेतों में भर गया है। इसके कारण आलू बुआई तय समय से अब नहीं हो सकेगी। फार्म में वृहद स्तर पर आलू के बीज का उत्पादन किया जाता है।
रबी सीजन 2022-23 में 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू बीजोत्पादन के लिए खेती करने का लक्ष्य निर्धारित है। इसके लिए 400 क्विंटल कुफरी सिंदूरी व कुफरी प्रजाति के आलू का बीज राजकीय शीतगृह अलीगंज (लखनऊ) से मंगाया जा रहा है। बुआई 20 अक्टूबर से होनी थी, लेकिन बीते एक सप्ताह से रूक-रूक कर हो रही बारिश से फार्म के खेतों में पानी भर गया है। जिसके कारण जुताई सहित अन्य कृषि कार्य बाधित हैं। फार्म कर्मियों के मुताबिक इस बारिश से अब बुआई माह के अंतिम सप्ताह में ही आरंभ होने की संभावना है। इसमें लगभग 10 लाख रुपये लागत आने का अनुमान है।
बागवानी और पौधशाला भी फार्म का हिस्सा
फार्म में बीजोत्पादन के अलावा बागवानी व पौधशाला भी हैं। सुरक्षा के लिहाज से फार्म के चारों तरफ चहारदीवारी है। यहां बीजोत्पादन, आम, लीची व अमरूद की बागवानी तथा पौधशाला है। सरकार की तरफ से चलाए जा रहे पौधरोपण कार्यक्रम के तहत इस पौधशाला से इमारती लकड़ी वाले पौधे व फलदार पौधों का वितरण किया जा रहा है।
आलू बीज प्रजाति कुफरी व सिंदूरी की विशेषता
आलू के इस प्रजाति में सड़न बहुत कम होती है। तीन से चार माह तक सामान्य वातावरण में भी इसे सुरक्षित रखा जा सकता है। पूर्वांचल के जलवायु के लिए यह उपयुक्त प्रजाति है। नुकसान कम होता है व पाला का असर भी नगण्य होता है। 110 से 130 दिन में फसल तैयार हो जाती है। 210 से 230 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है।
400 क्विंटल बीज आवंटित
उद्यान निरीक्षक अजित प्रताप सिंह ने बताया कि बीजोत्पादन के लिए बीज राजकीय शीतगृह अलीगंज लखनऊ से 400 क्विंटल आवंटित हो चुका है। बुआई के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है, लेकिन बारिश से काम प्रभावित हो रहा है। बुआई से लेकर उत्पादन तक लगभग 10 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है। इस खर्च में बीज की कीमत नहीं शामिल होगी। उत्पादन का लक्ष्य दो हजार क्विंटल रखा गया है।