शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ रखने की विधा है योग
लखनऊ। आजादी के अमृत महोत्सव और 8वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट एंड कल्चर उत्तर प्रदेश के द्वारा योग एवं स्वस्थ मानव जीवन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन संस्था के कार्यालय में किया गया। राष्ट्रीय युवा पुरस्कार प्राप्त रोहित कश्यप ने कहा कि अमृत महोत्सव के तहत आयोजित इस तरह के योग कार्यक्रम से लोगों में अपने स्वास्थ्य के प्रति चेतना एवं जागरूकता बढ़ेगी। योग के विभिन्न आसन का निरंतर अभ्यास मन को एकाग्रचित्त एवं तन को प्रफुल्लित रखने में सहायक सिद्ध होता है। योगा से तनाव और डिप्रेशन जैसी मानसिक परेशानी से भी छुटकारा पाया जाता है।
संस्थान के अध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने बताया कि योग शरीर, मनऔर आत्मा को स्वस्थ रखने वाली विद्या है। आज के भाग-दौड़ भरे समाज को जिस तरह नई-नई बीमारियों ने घरों में रहने को मजबूर कर दिया है, केवल योग ही ऐसा तरीका हैं। इससे मनुष्य अपने आप को ही नहीं बल्कि अपने परिवार को भी स्वस्थ रखने में भागीदारी कर सकता है।
संस्थान के सचिव श्रीश सिंह ने बताया कि महर्षि पतंजलि के अनुसार योग की परिभाषा है स्थिरं सुखं आसनं अर्थात स्थिरता पूर्वक किसी भी स्थिति में सुख से लम्बे समय तक बैठे रहना ही आसन कहलाता है, योग अभ्यास द्वारा मनुष्य अपने शरीर की समस्त नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित कर सकता है। जिससे उसके भीतर एक नवीन ऊर्जा का संचार होता है तथा रोग, शोक, दुख तनाव आदि स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता पंकज कुमार ने सभी साधकों को कमर दर्द, सर्वाइकल, मधुमेह, ब्लड-प्रेशर, मोटापा, माईग्रेन आदि समस्याओ से सम्बन्धित योग आसनों में स्कंध चालन, गोरक्षासन, नाड़ी संचालन, ताड़ासन आदि के साथ ही इन्द्रियों की एकाग्रता के साथ ही मन की शांति के लिए प्राणायाम का अभ्यास भी कराया। कार्यक्रम में शैलेश प्रताप सिंह, राकेश प्रभाकर, कपिल गुप्ता,दिलीप कुमार, संजीव गुप्ता , ने सहयोग किया ।