कन्नौज: लोहिया के एक और सिपहसालार विजय बहादुर पाल का निधन
- अखिलेश सदन छोड़कर इंदरगढ़ पहुंचे, कहा रिक्त स्थान की भरपाई मुश्किल
कन्नौज। प्रखर समाजवादी नेता और प्रदेश के पूर्व माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री विजय बहादुर पाल (81) का लम्बी बीमारी के बाद मंगलवार को निधन हो गया। उनके पुत्र अनिल पाल ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया के जरिए दी। उनके निधन पर सारे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी और क्षेत्रीय अधिवक्ताओं ने अपना पूर्व घोषित आंदोलन उनके सम्मान में एक दिन के लिए स्थगित कर दिया। पूर्व राज्यमंत्री के देहांत की खबर पाकर विधानसभा का बेहद जरूरी सत्र छोड़कर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जनपद पहुंचकर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि हमने एक प्रखर समाजवादी नेता और खो दिया उनके निधन से रिक्त हुए स्थान की भरपाई संभव नहीं है।
समीपवर्ती औरैया जिले के शिवरा गांव के मूल निवासी विजय बहादुर पाल 1969 में बतौर अंग्रेजी शिक्षक महात्मा गांधी इंटर काॅलेज मढ़पुरा में नौकरी करने आये थे। इसके बाद उन्होंने इंदरगढ़ में अपना आशियाना बनाया और यही के होकर रह गए। सन 1985 में पहली बार हसेरन के ब्लॉक प्रमुख के रूप में उन्होंने अपनी राजनैतिक यात्रा शुरू की। खांटी समाजवादी और देसी अंदाज़ में अपनी बात समझाने और मनवाने के लिए अड़ जाने वाले श्री पाल ने सन 1995 में तत्कालीन वार्ड 16 (अब वार्ड 21) से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत कर जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अपना दावा ठोंका। लेकिन कप्तान सिंह यादव के सामने उन्हें परास्त होना पड़ा। उनके इसी कार्यकाल के दौरान जिले का विभाजन हुआ और वे कन्नौज के सर्वमान्य नेता बने।
सन 1996 में उन्होंने तत्कालीन उमर्दा विधान सभा सीट से चुनाव लड़ा, किन्तु भाजपा के कैलाश सिंह राजूपत के हाथों उन्हें पराजित होना पड़ा। वर्ष 2002 के चुनाव में उन्होंने कैलाश सिंह को पराजित कर अपनी हार का बदला लिया और पहली बार विधान सभा में अपनी आमद दर्ज कराई। 2007 का चुनाव वे कैलाश सिंह से फिर हार गए लेकिन वर्ष 2012 में उन्होंने यह सीट भारी अंतर से फिर जीती और इस बार उन्हें अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सरकार में माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री बनाया गया। अपने स्वास्थ्य कारणों के चलते उन्होंने अपनी राजनैतिक विरासत अपने एकलौते पुत्र अनिल पाल को सौंप दी। जिन्होंने बेहद मज़बूती के साथ विगत विधान सभा चुनाव में तिर्वा सीट पर सपा के टिकट पर कैलाश सिंह का मुकाबला किया हालांकि उनके हिस्से में मामूली अंतर से पराजय ही आयी। शिक्षाविद के रूप में विजय बहादुर पाल ने अपनी भूमिका मज़बूती से निभाते हुए इंदरगढ़ में क्रांतिकारी शिक्षा सदन की स्थापना की।