मानसून सत्र : दंगों के आरोपियों से वूसली और महिला अपराधों से जुड़े दो विधेयक पास
- उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक, 2022
- दंड प्रक्रिया संहिता उत्तर प्रदेश (संशोधन) विधेयक 2022
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 19 से 23 सितंबर तक चले मानसून सत्र के दौरान शुक्रवार को दो महत्वपूर्ण विधेयक पास करा लिए हैं। इसमें पहला दंड प्रक्रिया संहिता उत्तर प्रदेश (संशोधन) विधेयक 2022 और दूसरा ‘उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक, 2022’ विधान सभा में पारित हो गया है।
‘उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक, 2022’
उत्तर-प्रदेश में अब दंगा, उपद्रव या फिर किसी भी प्रकार की हिंसा की वजह से किसी की मौत होने की स्थिति में मुआवजे की वसूली दंगाई या हिंसा फैलाने वाले दोषी से किया जाएगा। उपद्रव में सार्वजनिक और निजी संपत्ति को हुए नुकसान की उपद्रवियों से वसूली का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही अगर दंगे या उपद्रव में किसी व्यक्ति की जान जाने पर दावा अधिकरण को पांच लाख रुपये प्रतिपूर्ति देने का अधिकार दिया गया है। इसकी वसूली दोषी व्यक्ति से ही की जाएगी।
ध्वनि-मत से पारित हुआ विधेयक
मानसूत्र सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को विधानसभा में ‘उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक, 2022’ ध्वनि मत से पारित हो गया। इस दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) की मौजूदगी सदन में नहीं रही। सपा ने सदन से बहिर्गमन किया था। हालांकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता उमाशंकर सिंह ने प्रस्तावित विधेयक को प्रवर समिति को सौंपे जाने का प्रस्ताव रखा लेकिन सत्ता पक्ष के सदस्यों की संख्या् अधिक होने से पास हो गया।
संशोधन विधेयक में यह है खास
लोक संपत्ति की क्षति, निजी संपत्ति की क्षति और वैयक्तिक क्षति पर भी आरोपियों से वसूली की जाएगी। उपद्रव या दंगे में पीड़ित व्यतक्ति या जिसकी जान चली जाए उसका आश्रित भी मुआवजा के लिए अपील कर सकेगा। सदन को संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने अवगत कराया कि पहले दावा करने की समय सीमा केवल तीन माह थी लेकिन अब इसे बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया है। नई व्यवस्था में अधिकरण को मामले का स्वत: संज्ञान लेने का भी अधिकार होगा। सरकारी संपत्ति के नुकसान पर संबंधित कार्यालय के कार्यालयाध्यक्ष प्रतिकर के लिए अधिकरण के समक्ष दावा करेंगे। दावा अधिकरण की ओर से क्षतिपूर्ति के आदेश देने के 30 दिन के भीतर दोषी को पूरी राशि जमा करनी होगी। सरकार ने इससे पहले ‘उत्तणर प्रदेश लोक और निजी सम्पत्ति क्षति वसूली अधिनियम 2020’ लागू किया था। संशोधन में यह साफ कर दिया गया है कि प्रदर्शन या हड़ताल में हुए नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार होगा। ऐसे आयोजनों के आयोजक को भी जवाबदेह बनाया गया है।
दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) विधेयक 2022 ध्वनि मत से पारित
योगी सरकार ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध के मामलों में आरोपियों को अब अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी। राज्य सरकार ने इसके लिए दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन कर दिया है। उप्र विधानसभा में मॉनसून सत्र के अंतिम दिन दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) विधेयक 2022 ध्वनि मत से पारित हुआ है। अब महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले में आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी। यौन उत्पीड़न से जुड़े अपराधों के अलावा, गैंगस्टर एक्ट, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट, ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट और मृत्युदंड से जुड़े मामले अदालतों से अंतरिम राहत के रूप में अग्रिम जमानत के लिए पात्र नहीं होंगे। यह संशोधन बच्चों के यौन अपराधों से संरक्षण यानी पाक्सो अधिनियम 2012 और सभी बलात्कार धाराओं पर भी लागू होगा।