मेरे चित्रों में जीवन को लेकर एक दर्शन है: मोहम्मद शकील
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ चित्रकार मोहम्मद शकील के चित्रों की प्रदर्शनी ‘रंगमय छंदः क्यूबिस्ट एक्सप्रेसन्स‘ रविवार को माल एवेन्यू स्थित होटल लेबुआ की सराका आर्ट गैलरी में लगाई गई। प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी नवनीत सहगल ने किया। इस कला प्रदर्शनी की क्यूरेटर वंदना सहगल हैं। क्यूरेटर वंदना सहगल ने उद्घाटन अवसर पर चित्रकार के बारे में कहा कि मोहम्मद शकील का काम अवधारणा के साथ-साथ पैमाने में जीवन से बहुत बड़ा है। हम उन्हें उनके शहरी पैमाने पर भित्ति चित्रों के लिए अधिक जानते हैं लेकिन वह एक अनुभवी चित्रकार भी हैं। उनके चित्र एक दर्शन पर आधारित होती है। दार्शनिक विचारधारा के साथ- साथ एक खोज की प्रक्रिया भी उनके चित्रों मे देखी जा सकती है।
शकील के कैनवस पर रंग मोनोटोन हैं और पेस्टल पैलेट हैं। उनके विषय ज्यादातर आध्यात्मिकता के साथ साथ सामाजिक भी है। वह ज्यादातर तैल रंग में काम करते हैं। इनके कैनवस पर विषय एक ज्यामितीय आकार लिए होते हैं। जो ‘क्यूब्सक्यू‘ गायन के माध्यम से कैनवास को जीवंत करते हैं। विषय और आकारों के साथ साथ रंगों का प्रयोग एक ऊर्जा का प्रतीक है जो उनकी शैली को प्रदर्शित करती है । लगभग एक गति की तरह है। उनके कैनवस में उनके बारे में एक गतिशील गुण है और सभी क्यूबिस्ट अभिव्यक्तियों की तरह, ‘समय‘ का एक आयाम है जो प्रतिबिंबित करता है। रंगों का मोनोटोन इस आयाम में जोड़ता है। मोहम्मद शकील, अपनी शैली के माध्यम से, जिसमें कैनवास और विषय के निहित ज्यामितीय विभाजनों के कारण एक अमूर्त गुण है,एक परिपक्व अभिव्यक्ति प्रस्तुत करते हैं।
मोहम्मद शकील ने अपने चित्रों को लेकर कहा कि मेरे चित्रों में एक जीवन को लेकर दर्शन है। हमारा जीवन एक दर्शन पर ही आधारित है। यह दर्शन भी आध्यात्मिक विषयों, शक्ति, ऊर्जा, आकारों को लेकर प्रतिकात्मक है। हमारे जीवन में कर्म विशेष है। कृष्ण ने भी कर्म को प्रधानता दी है और यही जीवन का मर्म है एक सार है। चित्रों में ज्यामितीय आकारों के बारे में कहा कि इसमें भी एक विचार है कि सृष्टि में सब काल्पनिक है। किसी वस्तु का कोई विशेष आकार किसी को नहीं पता है। हम शुरुआत से ही रेखाओं के माध्यम से अनेकों आकारों का निर्माण करते हैं।
उसे एक विचारधारा से जोड़ दिया जाता है, जिसे जीवन भर हम अपने कर्मों से सवारते रहते हैं। हम शुरुआत से लकीरों में ही जीवन की खोज करते हैं। चित्रों में अम्बर भूरा रंग जो एक सूफ़ीज़म को दर्शाती है। एक प्रकाश जो पवित्रता, उन्नति, ऊर्जा और निरन्तरता को भी दिखाती है। हमारे जीवन में बिंदु का ज्यादा महत्व है और वही बिंदु जुड़ते -जुड़ते एक रेखा बनती है और रेखाएं एक आकार बनाती हैं। इन सबके पीछे कर्म का महत्व है। अंत में निचोड़ यही है कि हमारे चित्र कृष्ण के दर्शन पर आधारित है और शुरू से मेरी यही अभिव्यक्ति का मूल रहा है। क्योंकि जीवन का यही सार है। सृष्टि में कुछ भी वास्तविक रूप में नहीं है, सब बदलते रहते हैं। सबके पीछे कर्म ही विशेष है। परिवर्तन का कारण भी यही है।
प्रदर्शनी के कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि मोहम्मद शकील ने कला के क्षेत्र में एक लंबी दूरी तय की है। और सक्रियता के साथ धर्म और राजनीति से ऊपर उठकर अपनी अभिव्यक्ति और कला सृजन करते रहते हैं। मोहम्मद शकील के चित्र मूलतः तैल चित्र और रेखाचित्र हैं। समाज के आदर्श चित्रकार के दृष्टि से देखे हुए अनुभवों का अभिव्यक्ति इनके चित्र में देखने को मिलता है। इनके चित्रों में कला की आध्यात्मिकता का आकर्षण है। उन्होंने हमेशा भावनात्मक मर्म को सामाजिक संदर्भों से जोड़ने का प्रयास किया है। यह प्रदर्शनी पांच फरवरी तक कला प्रेमियों के अवलोकन के लिए चलेगी।