अमेठीउत्तर प्रदेशधर्म-आस्था

एडवोकेट राजेश मिश्रा के घर पूरे इच्छा, सरैया, बड़गांव में मुकेश आनंद जी महाराज के मुखारविंद से कही जा रही ९ दिवसीय श्रीराम कथा का आज सातवां दिन।

सप्तम दिवस की कथा भगवान श्री राघवेंद्र सरकार एवं माता सीता के अयोध्या आगमन से प्रारंभ हुई भगवान राम लगभग 12 वर्ष अयोध्या में रहे इस बीच में श्री राम ने अयोध्या वासियों के मध्य कर्म करना प्रारंभ किया उनकी सेवा करना प्रारंभ किया राम के सत्य कर्मो   से अयोध्या में रिद्धि सिद्धि की नदियां बहने लगी राजा दशरथ द्वारा एक बार अपने मुकुट को एक ओर झुका हुआ देखे जाने के बाद उनके द्वारा रामको राजकुमार बनाने का एवं स्वयं वन जाने का भाव उत्पन्न हुआ गुरुदेव के पास जाकर राजा दशरथ ने राम के राज्याभिषेक के लिए निवेदन किया हम मनुष्यों का भी मुकुट कई बार चाटूकारों  के तरफ झुक जाता है इसलिए सदैव हमको भी मन रूपी मुकुर में अपने को देखना चाहिए और समय आयु को देखते हुए अपनी सत्ता को परिवार के युवा पुत्रों के कंधों पर देना चाहिए परंतु राजा दशरथ ने गुरुदेव के कहने पर भी इस पुण्य काम को अगले दिन के लिए टाल देना यहीं से कल पर टालने के कारण राजा दशरथ का काल का आगमन होना राम की वन गमन यात्रा में मंथरा द्वारा कैकेई की बुद्धि बिगाड़ना कैकेई द्वारा राजा दशरथ से  दो वरदान में राम के लिए 14 वर्ष का वनवास एवं श्री भरत जी के लिए राजगद्दी मांगना राम का लक्ष्मण एवं सीता के संग वन गमन करना राजा दशरथ का राम के विरह में अश्रु प्रपात करना श्रोताओं को भावविभोर किया भगवान राम माता पिता के चरणों को दंडवत करके वन की ओर निकले सुमंत्र जी द्वारा उनको गंगा जी में के पास छोड़कर उस पार भेजना एवं रामकथा के रसिक प्रसंग केवट के साथ श्रोताओं को पूज्य महाराज जी का जोड़ना तत्पश्चात उस पार जाकर के राम का प्रयागराज की पावन भूमि को प्रणाम करना संत शिरोमणि भारद्वाज मुनि के आश्रम में जाकर उनसे मार्ग पूछना कथा व्यास श्री मुकेश आनंद महाराज ने कहा प्रत्येक मानव को किस दिशा में जाना है किसी ने किसी श्रेष्ठ गुरु से ही पूछना चाहिए जैसा राम ने गुरुदेव भारद्वाज से पूछा कहो नाथ हम कहीं मर जाएं चार शिष्यों के संग राम का चित्रकूट की ओर बढ़ना और यमुनाजी पारकर वाल्मिक ऋषि से मिलन होना गुरु भाव का मान बढ़ाने के लिए पुनः परमात्मा ने वाल्मीकि जी से पूछा कि हम कहां रहे वास्तव में राम सदैव श्रेष्ठ गुरु के मार्गदर्शन में ही जीवन जीते हैं एवं वाल्मीकि द्वारा उनका स्थान चित्रकूट निश्चित करना भगवान चित्रकूट में रहकर के वनवासियों को स्नेह प्रेम दिए।

Lokesh Tripathi

पूरा नाम - लोकेश कुमार त्रिपाठी शिक्षा - एम०ए०, बी०एड० पत्रकारिता अनुभव - 6 वर्ष जिला संवाददाता - लाइव टुडे एवम् न्यूज़ इंडिया टीवी न्यूज़ चैनल एवं हिंदी दैनिक समाचारपत्र "कर्मक्षेत्र इंडिया" उद्देश्य - लोगों को सदमार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना। "पत्रकारिता सिर्फ़ एक शौक" इच्छा - "ख़बरी अड्डा" के माध्यम से "कलम का सच्चा सिपाही" बनना।

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