9 दिवसीय श्रीराम कथा के अंतिम दिन ADM अजय श्रीवास्तव और SDM महेंद्र श्रीवास्तव सहित तमाम गणमान्य व्यक्ति बने श्रोता।
अमेठी तहसील के वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश मिश्रा के पैतृक गांव पूरे इच्छा सरैया बड़गांव थाना संग्रामपुर तहसील एवं जनपद अमेठी में प्रख्यात एवं विद्वान कथावाचक मुकेश आनंद जी महाराज के मुखारविंद से चल रही नव दिवसीय श्रीराम कथा के अंतिम दिन अपर जिलाधिकारी अजय श्रीवास्तव एवं उप जिलाधिकारी महेंद्र श्रीवास्तव सहित तमाम गणमान्य व्यक्तियों ने पहुंचकर अमृतमई कथा का रसास्वादन किया। विगत 9 दिनों में अमेठी जिले ही नहीं अपितु अन्य कई जनपदों से कई बड़ी हस्तियों ने पहुंचकर मुकेश आनंद जी महाराज के समक्ष अपनी हाजिरी लगाई।पिछले 9 दिनों से चल रही प्रभु श्री राम की कथा के अंतिम दिन आज विश्राम दिवस की कथा भगवान राम के चित्रकूट से आगे प्रस्थान से प्रारंभ होती है माता सीता एवं राम लक्ष्मण अत्रि मुनि एवं अनुसूया के पास से निकल कर के बढ़े। अनुसूया ने माता सीता को नारी धर्म का ज्ञान दिया राम का सरभंग मुनि आश्रम पहुंचना वहां पर लगे हुए हड्डियों के ढेर को देखकर निशचर हीन करहू महि भुज उठाए प्रण कीन्ह का संकल्प लिया एवं अगस्त मुनि से मिलकर के पंचवटी निवास करना सूपनखा का आगमन होना उसका लक्ष्मण द्वारा नाक कटना सोने के हिरन के पीछे राम का दौड़ना एवं सीता का हरण हो जाना । कथा व्यास श्री मुकेश आनंद जी ने कहा कि जब मानव का ज्ञान रूपी राम सोने के पीछे दौड़ता है तो जीवन से सीता रुपी भक्ति का हरण हो ही जाता है। माता सीता के हरण के पश्चात भगवान राम का जटायु से मिलन शबरी के आश्रम आगमन शबरी द्वारा भगवान की स्तुति करना एवं भगवान द्वारा भक्ति के नव सोपान की चर्चा करना परमात्मा के ऋषिमूक पर्वत पर सुग्रीव का मिलन बालि का वध सीता की खोज लंका दहन सीता का संदेशा राम को प्राप्त होना लंका पर आक्रमण समुद्र पर सौ योजन का पुल बांधना भगवान शिव रामेश्वर की स्थापना करना रोचकता से कथा पंडाल को भर रहा था। युद्ध के कड़ी में विभीषण का शरणागत होकर के राम के चरणों में आना कुंभकरण एवं मेघनाथ का अंत होना और राम रावण युद्ध में इंद्र के द्वारा अपना रथ भेजना व्यास जी ने कहा कि जब भी मानव शौर्य पूर्वक आगे बढ़ता है तो देवता भी उनके सहयोग में आ जाया करते हैं। इस महायुद्ध में सत्य रूपी राम की जय होना और असत्य रूपी रावण का अंत होना आज की इस पावन राम कथा में विश्राम समय पर व्यास जी ने भगवान राघवेंद्र सरकार का दिव्य तिलकोत्सव कराते हुए उनको राजा बनाकर के कथा का विश्राम दिया।