नैनो तकनीकी से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने में मिलती है मदद

- डाॅ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विवि में चल रही कार्यशाला, विशेषज्ञों ने नैनो तकनीकी की दी जानकारी
लखनऊ। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज की ओर से आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन मंगलवार को तेल एवं गैस उद्योग में नैनो तकनीकी की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी गयी। कार्यशाला के दूसरे दिन डॉ. सौरभ मिश्र ने प्रतिभागियों को नैनो तकनीकी और नैनो साइंस की जानकारी दी। बताया कि जीवन के हर क्षेत्र में नैनो तकनीकी का प्रभाव है। स्वास्थ्य से लेकर कृषि तक में नैनो तकनीकी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उन्होंने कहा कि इस तकनीकी के जरिये मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है। नैनो यूरिया नैनो तकनीकी का ही परिणाम है। तेल और गैस उद्योग में नैनो तकनीकी की जानकारी देते हुए बताया कि कच्चे तेल के उत्पादन से लेकर उसकी रिफाइनरी और टांसपोर्टेशन तक में इसकी अहम भूमिका है।
उन्होंने बताया कि इस तकनीकी से न केवल ड्रिलिंग के वक्त ईंधन को ठंडा रखा जाता है। साथ ही उसके दबाव को कम करते हैं। ड्रिलिंग काफी स्मूद रहती है। कार्यशाला में विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों के 40 छात्रों ने भाग लिया है। सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज की ओर से कार्यशालाओं और शॉर्ट टर्म कोर्स की श्रृंखला के दौरान आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, इंडस्टीयल ऑटोमेशन एंड स्मार्ट मैनुफैक्चरिंग दी। ऑयल इंडस्टी के बारे में छात्रों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज के निदेशक प्रो0 एमके दत्ता व डॉ अनुज शर्मा ने बताया कि कार्यशाला का उदेश्य छात्रों को नये प्रौद्योगिकी की जानकारी देना है।