पूर्णिमा पर मनकामेश्वर घाट पर हुई मां गोमती की आरती

- श्रीमहंत देव्यागिरि ने हनुमान जी के जीवन से प्रेरणा लेने का दिया संदेश
लखनऊ। डालीगंज, गोमती तट स्थित मनकामेश्वर घाट उपवन में पूर्णिमा पर मां गोमती की आरती की गई। श्रीमनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्यागिरि की अगुवाई में आरती हुई। आचार्य शिवराम अवस्थी ने मंत्रोच्चार किया। बड़े मंगल को ध्यान में रखते हुए श्रीमहंत ने राम भक्त हनुमान जी से प्रेरणा लेने का संदेश भी दिया।
मंदिर की सेविका उपमा पाण्डेय के दल ने उपवन घाट को रंगोली और 11 वेदियों को फूल आदि से आकर्षक रूप में सजाया। घाट पर स्थापित मां गोमती की मूर्ति का पूजन करने के बाद श्रीमहंत देव्यागिरि ने महा आरती की। आरती की वेदियों पर गौरव, सुनील, अजय, अश्वनी, हिमांशु, रवि, अमन, अभिषेक, विश्वजीत, शिवम, सचिन ने आरती की। आरती के समय शंखनाद, घंटा- घड़ियाल, डमरू की ध्वनि और जयकारों से घाट परिसर गूंज उठा। हनुमान चालीसा का पाठ भी हुआ।
श्रीमहंत देव्यागिरि ने इस अवसर पर कहा कि रामभक्त पवनपुत्र का व्यक्तित्व संदेश देता है कि जब तक लक्ष्य हासिल न हो जाए तब तक विश्राम नहीं करना चाहिए। परिस्थितियों के अनुरूप अपने को ढालना चाहिए। रामकथा का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि लंका जाते समय हनुमान महाराज ने राक्षसी सुरसा की हठ को पूरा करते हुए उसके मुख की तुलना में अपने शरीर को छोटा किया और जीवित बाहर निकल आए थे। इसी तरह संजीवनी लाने का प्रसंग संदेश देता है कि समस्या नहीं समाधान तलाशना चाहिए। हनुमान महाराज जिज्ञासू, दूरदर्शी, कुशल नेतृत्वदाता, महाबली होते हुए भी बेहद विनम्रशील रहे।