उत्तर प्रदेशलखनऊ

मायावती अब दलितों के साथ ही मुस्लिमों पर भी डाल रहीं डोरे

  • बसपा अध्यक्ष ने आजमगढ़ चुनाव में मेहनत के लिए कार्यकर्ताओं को शाबासी दी
  • मायावती ने इशारों में कहा- अल्पसंख्यकों को गुमाराह होने से रोकना बहुत जरूरी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में केवल एक सीट आजमगढ़ में प्रत्याशी उतारने वाली बसपा प्रमुख मायावती की पार्टी भले तीसरे पायदान पर रही हो लेकिन उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं की पीठ थपथपाने में देरी नहीं कीं। मायावती ने कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों के साथ ही उम्मीदवार की सराहना की है। साथ ही इस जज्बे को लोकसभा के आम चुनावों तक बनाए रखने का हौसला भी बढ़ाया है।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का आमतौर पर उपचुनाव से दूरी बनाकर रखने का ही रिकार्ड रहा है। इस बार बसपा ने दो लोकसभा सीटों में से केवल एक सीट आजमगढ़ में चुनाव लड़ने का फैसला किया। बहुतायत में मस्लिम और यादव मतदाताओं के होने की वजह से आजमगढ़ को सपा का गढ़ माना जाता रहा है। सपा के पक्ष में यहां परिणाम भी आते रहे हैं। बसपा ने आजमगढ़ से ही मुसलमान चेहरा शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को उम्मीदवार बनाया। वह परखना चाह रही थीं कि 2014, 2017, 2019 और 2022 में सपा की हार के बाद क्या प्रदेश का मुसलमान बसपा का साथ देने को मन बना चुका है।

दरअसल वह इस बात को भी बार-बार याद दिलाती रहीं हैं कि बसपा ही भाजपा को हरा सकती है। बसपा की रणनीति है कि मुस्लिम, दलित गठजोड़ के साथ अन्य वर्गों का कुछ वोट हासिल कर सत्ता में आया जा सकता है। उनका यह प्रयोग तो आजमगढ़ में असफल रहा। जानकारों का मानना है कि इसका लाभ भाजपा को जरूर मिल गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा को आगे की रणनीति में बदलाव करना होगा। तब ही वह चुनाव में मजबूती से उपस्थिति दर्ज करा सकेगी।

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सोमवार को ट्वीट कर अपने कार्यकर्ताओं की पीठ थपथपाई। उन्होंने कहा कि बसपा के सभी छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और पार्टी प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने आज़मगढ़ लोकसभा उपचुनाव जिस संघर्ष एवं दिलेरी के साथ लड़ा है, उसे आगे 2024 के लोकसभा आमचुनाव तक जारी रखने के संकल्प के तहत चुनावी मुस्तैदी यथावत बनाये रखना भी ज़रूरी।

बसपा को बखूबी पता है कि पिछले कई चुनावों से उसका जादू नहीं चल पा रहा है। 2012 में यूपी की सत्ता से खिसकने के बाद से बसपा उबर नहीं पाई है। वह चाहे 2014 का लोकसभा चुनाव हो या फिर 2017 का विधानसभा, 2019 का लोकसभा, 2022 का विधानसभा चुनाव और अब आजमगढ़ लोकसभा का उपचुनाव ही क्यों न हो। बसपा करीब-करीब हर चुनाव में नीचे ही खिसकती गयी है। 2019 के लोकसभा को छोड़कर जिसमें सपा के साथ गठबंधन कर बसपा को 10 लोकसभा सीटों पर सफलता मिली थी।

यही वजह है कि मायावती अब दलितों के साथ ही मुसलमानों पर डोरे डाल रही हैं। वह इस समुदाय को समझाने का प्रयास कर रही हैं कि भाजपा को केवल बसपा ही हरा सकती है। दरअसल यह माना जाता रहा है कि मुसलमान भाजपा के विरोध में ही वोट करेगा। हालांकि अब यह मिथक भी कई सीटों पर टूटता हुआ दिखाई दे रहा है। रामपुर लोकसभा सीट पर ही देखिए। आजम खान के गढ़ को भाजपा प्रत्याशी घनश्याम लोधी ने ढहा दिया है।

बसपा अध्यक्ष मायावती अपने दूसरे ट्वीट में लिखती हैं कि सिर्फ आज़मगढ़ ही नहीं बल्कि बसपा की पूरे यूपी में 2024 लोकसभा आमचुनाव के लिए ज़मीनी तैयारी को वोट में बदलने के लिए भी संघर्ष और प्रयास लगातार जारी रखना है। इस क्रम में एक समुदाय विशेष को आगे होने वाले सभी चुनावों में गुमराह होने से बचाना भी बहुत ज़रूरी है। मायावती का यह समुदाय विशेष कोई और नहीं बल्कि मुस्लिम समाज ही है जिसे वह अपने पाले में बुलाना चाह रही हैं।

खबरी अड्डा

Khabri Adda Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2019. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2019.

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button