चीन के चंगुल से कैलाश-मानसरोवर की मुक्ति जरूरी : राम कुमार सिंह

लखनऊ। कैलाश-मानसरोवर को चीन के चंगुल से मुक्त कराया जाना आवश्यक है। तिब्बत की आजादी और कैलाश मानसरोवर की मुक्ति भारत देश की अखंडता व संप्रभुता से प्रत्यक्ष जुड़ा हुआ विषय है। इस दिशा में भारत तिब्बत समन्वय संघ काम कर रहा है। भारत तिब्बत समन्वय संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के संयोजक राम कुमार सिंह ने सोमवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के डीपीए सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि तिब्बत सदियों तक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में रहा है लेकिन भारत में जन्मे भगवान बुद्ध की शांति व करुणा को पूरी तरह से आत्मसात करने वाला ऐसा देश रहा जिसके संबंध भारत से अत्यंत प्रगाढ़ रहे। आपसी प्रेम व स्नेह इतना प्रबल था कि सीमा रेखा पर दोनों तरफ से कभी कोई सेना तक न थी। जब तक तिब्बत स्वतंत्र अस्तित्व में था, तब तक हमें भी कोई खतरा न था। तिब्बत को 1959 में चीन द्वारा धोखे से हड़प लिया गया।
आज भी भारत की तिब्बत सीमा पर चीन दुष्टता व छल करता रहता है। डोकलाम व गलवान में भारत से हारने के बाद भी चीनी अपने उत्पात से बाज नहीं आते। चीन के खतरों से लड़ने के लिए लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक की साढ़े तीन हजार किलोमीटर लंबी सीमा रेखा पर भारत को अपनी सेना लगानी पड़ती है। इस पर हजारों रुपए प्रतिदिन खर्च होते हैं। अवध प्रांत के अध्यक्ष कुशाग्र वर्मा ने कहा कि चीन के षडयन्त्रों से देश को बचाने के लिए भारत सरकार प्रयास कर रही है लेकिन यह प्रयास प्रत्येक भारतीय को करने की आवश्यकता है।
कैलाश-मानसरोवर के दर्शन करने के लिए शिव भक्तों की राह में चीन इतने रोड़े अटकाता है कि वह चाहता है कि वहां कोई ना आए। इसलिए इस स्थान को भी चीन के चंगुल से मुक्त कराया जाना आवश्यक है। यह एक बड़ी लड़ाई है और यह जनता के उठ खड़े होने से ही संभव होगा। इसकी अगुवाई भारत तिब्बत समन्वय संघ कर रहा है। संघ के मुख्य प्रांत संयोजक हिमांशु सिंह ने बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ आगामी 30 अप्रैल दिन शनिवार को क्षेत्रीय अधिवेशन लखनऊ में करने जा रहे हैं। इसका प्रमुख विषय यही है कि हमें आक्रामक होकर कार्य करना होगा।