सीमैप की झुलसा रोग की प्रतिरोधक क्षमता से अश्वगंधा की नई प्रजाति जेनान उतारेगी बाजार में
लखनऊ। सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप), लखनऊ द्वारा विकसित अश्वगंधा की नई प्रजाति सिम-पुष्टि के बीजों का बहुगुणन की तकनीकी को मेसर्स जेनॉन बायोसाइन्स, हैदराबाद के पी. संबासिवा रेड्डी को हस्तांतरित किया गया। अब हैदराबाद की यह कंपनी इसे बाजार में बेचेगी। सिम-पुष्टि में तीन प्रतिशत से ऊपर कुल विथेनोंलाइट हैं, जिसमें कि विथेनोंलाइट और विथेनोंलाइट है।
इसकी औसतन उपज 10 से 12 कुंटल प्रति हेक्टयर है और इसके सुखी जड़ों में पोलेसेकराइड व रेसे की मात्रा (पाउडर) 1.5 है। यह औसतन 160-170 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है और इसमें पत्ती झुलसा रोग प्रतिरोधक क्षमता है। मेसर्स जेनॉन बायोसाइन्स द्वारा इसका प्रयोग व्यापारिक प्रसार एवं एक्स्ट्रेक्ट बनाने मे किया जाएगा जिसका सेवन स्वास्थ्यवर्धक होगा।
इस अवसर पर डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी निदेशक, सीएसआईआर-सीमैप व मेसर्स जेनॉन बायोसाइन्स, हैदराबाद के सीईओ पी. संबासिवा पोरेड्डी द्वारा समझौता पत्र का हस्तांतरित किया गया। इस अवसर पर सिम-पुष्टि के प्लांट ब्रीडर डॉ. तृप्ता झंग, डॉ. रमेश कुमार श्रीवास्तव, प्रमुख व्यापार विकास तथा डॉ. राम सुरेश शर्मा भी उपस्थित थे।