विकसित गांव बनाने में उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका का अध्ययन करेगा लखनऊ विवि
- 16 जिलों के गांवों के प्रबंधन, समस्या आदि की जुटाएगा जानकारी
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय का समाज कार्य विभाग जल्द ही उत्तर प्रदेश के 16 जिलों में सतत विकसित गांव बनाने हेतु उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा अदा की गई भूमिकाओं एवं कार्यों का अध्ययन करने जा रहा है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद, हैदराबाद द्वारा चयनित देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में उत्तर प्रदेश से एकमात्र लखनऊ विश्वविद्यालय को इस अध्ययन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के प्रो. राकेश द्विवेदी ने बतौर परियोजना निदेशक यह बताया कि अध्ययन के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के पूर्वी और केंद्रीय क्षेत्रों से 8-8 जिलों का चयन किया जाएगा। जिनसे कुल 64 उच्च शिक्षण संस्थानों का चयन करके उनके द्वारा गावों को सतत बनाने की भूमिका का अध्ययन करते हुए समुदाय की आवश्यकता एवं समस्याओं की पहचान, गांव में सतत विकास हेतु नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता एवं गांवों में अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था का आकलन किया जाएगा। अध्ययन के अंतर्गत सतत गांव को बनाने हेतु तीन मुख्य तत्व: स्थानीय भागीदारी प्रक्रिया, प्राकृतिक संसाधनों का पुनःस्थापन एवं सतत गांव बनाने हेतु केंद्रित प्रणाली का अध्ययन क्रियात्मक शोध के द्वारा किया जाएगा।
अध्ययन के अंतर्गत भारतीय परिपेक्ष्य में शिक्षण संस्थानों में विभिन्न प्रकार के सामाजिक उत्तरदायित्वों में शामिल शिक्षकों के माध्यम से सामुदायिक भागीदारी द्वारा गहन साक्षात्कार, वैयक्तिक अध्ययन एवं केंद्रित समूह चर्चा द्वारा यह जानने का प्रयत्न किया जाएगा कि वह किस प्रकार अपने आसपास के गांवों को सुगम एवं सतत भविष्य प्रदान करने में अपना योगदान कर सकते हैं।