उत्तर प्रदेशबाँदा

कागजों में बन गई 11 किमी की सड़क, नापी तो निकली 7 किमी, PWD के 5 दोषी अधिकारियों की सैलरी से होगी रिकवरी

उत्तर प्रदेश के बांदा में लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार के एक बड़ा खुलासा हुआ है. विभाग ने 11 किलोमीटर सड़क को फर्जी तरीके से कागजों में बनाया है, जबकि यह 7 किलोमीटर की सड़क थी. लेकिन पैसे के लालच में इसे 11 किलोमीटर दिखा दिया गया. यानी कागजों में 4 किलोमीटर ज्यादा दिखाकर एक करोड़ 48 लाख रुपये निकाले गए. इस बात की शिकायत समाजसेवी संजय मिश्रा ने मुख्यमंत्री चीफ सेक्रेट्री और मुख्य अभियंता पीडब्ल्यूडी लखनऊ को की थी. इस पर लखनऊ पीडब्ल्यूडी विभाग से टीम ने आकर विधिवत जांच की और जांच में पाया कि शिकायत सही है. पीडब्ल्यूडी विभाग के 5 अधिकारी दोषी हैं. अब शासन ने दोषियों से रिकवरी की सिफारिश की है.

विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली है कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को जोड़ने वाली दुरेड़ी पहरहा मार्ग की आरसीसी सड़क एक महीने में टूटने का मामला प्रकाश में आया है. लोक निर्माण विभाग, बांदा द्वारा 12 करोड़ की लागत से बनी आरसीसी सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है. दुरेड़ी- पहरहा मार्ग की आरसीसी सड़क एक महीने में चटक गई.

जवाब देने से बचते नजर आए अधिकारी

ग्रामीणों ने अधिकारियों से शिकायत की है. लोक निर्माण विभाग के अभियंता सुमंत कुमार से इस सड़क के बारे में जब Tv9 भारतवर्ष ने पूछा तो, वो जवाब देने से बचते नजर आए. वो कुछ भी कहने से बचते रहे. आपको बता दें पूरा मामला बांदा जिले का है. जहां लोक निर्माण विभाग द्वारा 11 किलोमीटर आरसीसी सड़क का निर्माण किया गया था.

यह सड़क एक महीने में ही टूट गई. स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि सड़क निर्माण में धांधली हुई है. निर्माण के दौरान न ही सरिया डाला गया और न ही उसमें सिंचाई की गई है. जिससे आरसीसी सड़क पर जगह-जगह दरारें आ गई हैं. सड़क के घोटाले के बारे में जब समाजसेवियों संजय मिश्रा से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इसकी शिकायत कई बार की गई है.

टीएसी जांच में हुआ खुलासा

उन्होंने बताया कि टीएसी जांच में यह पाया गया कि इसमें घोटाला हुआ है. रोड कुछ दिखाई गई है और बनाई कुछ और गई है. पेमेंट अलग निकाला गया है. इस सड़क की जब लखनऊ की टीम ने टीएसी जांच की तो, उसमें ये आया कि एक गड़बड़ी से बचने के अधिकारियों ने कई और गड़बड़ी की. वहीं हर बार पेमेंट भी निकाली गई. इसी में जांच टीम द्वारा 1 करोड़ 42 लाख की रिकवरी निकाली गई. जबकि यह 12 करोड़ की लागत से बनी है.

उन्होंने कहा कि इसमें एक भी सरिया नहीं डाला गया, ना इसमें कायदे से सिंचाई की गई है. सड़क बनाने के मानक के अनुसार सीमेंट का इस्तेमाल भी नहीं किया गया. शासन के अनुसार 5 लोग इसमें दोषी हैं, जिनके वेतन से रिकवरी की जाएगी. इसमें अपर अभियंता लोक निर्माण बांदा, सहायक अभियंता लोक निर्माण, अधिशाषी अभियंता लोक निर्माण बांदा प्रांतीय खंड 4, मुख्य अभियंता लोक निर्माण चित्रकूट धाम मंडल बांदा यह पांचों दोषी हैं. इनके वेतन से 1 करोड़ 48 लाख की रिकवरी की जाएगी.

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