पूर्णिमा पर हुई श्रीमनकामेश्वर घाट पर गोमती की आरती
- हनुमान जी का जीवन मानव को प्रेरणा का संदेश देता है
लखनऊ। डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मठ मंदिर की ओर से शनिवार को चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर मनकामेश्वर घाट उपवन में मां गोमती की आरती हुई। आरती श्रीमहंत देव्यागिरि की अगुवाई में हुई। आचार्य शिवराम अवस्थी ने मंत्रोच्चार के साथ विधिविधान से आरती कराई। राम भक्त हनुमान महाराज से प्रेरणा लेने का संदेश दिया।
आरती के लिए घाट परिसर को मंदिर की सेविका उपमा पाण्डेय के दल ने रंगोली से वेदियों को फूल, पट आदि से आकर्षक रूप में सजाया गया था। घाट पर स्थापित मां गोमती की मूर्ति का पूजन करने के बाद श्रीमहंत देव्यागिरि ने महा आरती की। आरती के समय शंखनाद, घंटा घडियाल, डमरू वादन और जयकारों से घाट गूंज उठा। इसी समय अंजनी पुत्र, केसरी नंदन के जन्मोत्सव पर मानवता के कल्याण के लिए 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ किया गया।
श्रीमहंत देव्यागिरि ने इस अवसर पर हनुमान महाराज से जीवन में सफलता का मंत्र हासिल करने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि रामभक्त पवनपुत्र का व्यक्तित्व संदेश देता है कि जब तक लक्ष्य हासिल न हो जाए तब तक विश्राम नहीं करना चाहिए। परिस्थितियों के अनुरूप अपने को ढालना चाहिए। रामकथा का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि लंका जाते समय हनुमान महाराज ने राक्षसी सुरसा की हठ को पूरा करते हुए अपने शरीर को छोटा किया और उसके मुंह से जीवित बाहर निकल आए थे। इसी तरह संजीवनी लाने का प्रसंग संदेश देता है कि समस्या नहीं समाधान तलाशना चाहिए। हनुमान महाराज जिज्ञासू, दूरदर्शी, कुशल नेतृत्वदाता, महाबली होते हुए भी बेहद विनम्रशील रहे।