बिजली दरों में कमी करने के मुद्दे पर 21 को सुनवाई करेगा विद्युत नियामक आयोग
- उपभोक्ता परिषद लगातार बना रहा दबाव, बिजली कंपनियां कर रहीं टाल-मटोल
लखनऊ। बिजली दरों में कमी के लिए उपभोक्ता परिषद लगातार तर्कों के आधार पर नियामक आयोग पर दबाव बना रहा है। वहीं बिजली कंपनियां बार-बार इसे टाल-मटोल कर रही हैं। अभी सोमवार को हुई सुनवाई में बिजली कंपनियों ने कहा कि इसकी अपील ट्रिब्यूनल में है, इस कारण अभी इस मामले को रोका जाय। वहीं उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों पर अवमानना की कार्रवाई की जाने की मांग की। अब इस संबंध में 21 जून को सुनवाई होनी है।
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि किसी सक्षम न्यायालय में किसी निर्णय के खिलाफ महज मुकदमा दाखिल करने से नहीं रोकी जाती, जब तक वहां से स्थगन आदेश न आया हो। नियामक आयोग को इस पर जल्द फैसला लेना चाहिए, जिससे उपभोक्ताओं का विश्वास कायम रहे। उपभोक्ता परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि उदय के मामले में बिजली कंपनियों का एक तरफा बात करना पूरी तरह असंवैधानिक है, क्योंकि उदय का फैसला त्रिपक्षीय पावर कारपोरेशन उत्तर प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार के बीच था। ऐसे में कोई भी निर्णय त्रिपक्षीय ही हो सकता है, एक पक्षीय नहीं।
प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहे लगभग रुपया 22045 करोड़ की गणना पर उपभोक्ता परिषद ने याचिका दाखिल की है। इस पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा पावर कारपोरेशन से जवाब मांगा गया है। उपभोक्ता परिषद के अनुसार बिजली कंपनियां असंवैधानिक ढंग से एक-एक कर गुपचुप तरीके से जवाब दाखिक किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जब पावर कारपोरेशन खुद को फंसता हुआ महसूस करने लगा तो अब अलग-अलग जवाब दाखिल किया जाने लगा। बिजली कंपनियों का कहना है कि पूरे मामले पर बिजली कंपनियों की तरफ से अपीलेट ट्रिब्यूनल में मुकदमा दाखिल किया गया है।