उप्र में टीबी उन्मूलन के लिए किये गये सराहनीय कार्य : मुख्य सचिव

- राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के प्रगति की समीक्षा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने सोमवार को यहां कहा कि प्रदेश में टीबी उन्मूलन के लिए सराहनीय कार्य किये गये हैं। मुख्य सचिव आज राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के प्रगति की समीक्षा कर रहे थे। समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि वर्ष 2025 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य है, किन्तु समन्वित प्रयास से इसको वर्ष 2025 से पूर्व ही खत्म करने के लिए कार्य किये जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश मे टीबी उन्मूलन के लिए सराहनीय कार्य किये गये हैं तथा सभी 09 इंडीकेटर्स में जहाँ देश का स्कोर 84 है वहीं उप्र का स्कोर 85 है। टीबी उन्मूलन में सराहनीय कार्यों के लिए जालौन, पीलीभीत, बुलंदशहर व मुजफ्फरनगर जनपद को सिल्वर मेडल तथा कौशाम्बी, संतरविदासनगर, हापुड़, शामली, उन्नाव, बलरामपुर व सोनभद्र जनपद को कांस्य मेडल प्राप्त हुआ है।
मुख्य सचिव ने कहा कि सभी 75 जनपद निर्धारित सभी एंडीकेटर्स में अच्छा स्कोर लाने के लिए प्रयास करें और प्रदेश को शीघ्र टीबी मुक्त बनाने के लिए मिलकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि टीबी मुक्त पंचायत अभियान के अंतर्गत ऐसी ग्राम पंचायतों का सर्वे कराया जाये जोकि टीबी से मुक्त हैं तथा ऐसी ग्राम पंचायतों के हेल्थ व आंगनबाड़ी वर्कर्स को प्रोत्साहित किया जाये। इसी प्रकार नगरीय क्षेत्रों में वार्डों के लिए भी कार्य किये जायें।
श्री मिश्र ने कहा कि टीबी के जो मरीज इलाज से पूर्णतया स्वस्थ हो गये हैं, उनका सोशल व डिजिटल मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार कराया जाये ताकि लोगों में टीबी के प्रति जागरुकता पैदा हो। इससे पूर्व बैठक का संचालन करते हुए प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थसारथी सेन शर्मा ने टीबी उन्मूलन के लिए किये गये कार्यों की प्रगति से मुख्य सचिव को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022-23 में 6,19,396 लाभार्थियों को निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत 141 करोड़ की धनराशि डीबीटी के माध्यम से उनके खातों में ट्रांसफर की गई है।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक माह की 15 तारीख को सभी हेल्थ एवं वेलनेस सेंटर्स में इंटीग्रेटेड निक्षय दिवस मनाया जाता है, जिसमें टीबी से संबंधित ओपीडी, सैंपल कलेक्शन व परीक्षण तथा इलाज किया जाता है। बैठक में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार सहित चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।