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रैदास पर जल्दी ही लखनऊ में होगा एक बड़ा आयोजन : राम किशोर

  • साहित्यकार एस. के. पंजम के दूसरे स्मृति दिवस पर लखनऊ में हुआ कार्यक्रम

लखनऊ। एस. के पंजम बसंत जानते थे कि अचानक या अपने आप कुछ नहीं होगा। इसके लिए कोशिश करनी होगी। उन्होंने अपने को इसी के लिए समर्पित कर दिया था। उनके अन्दर समाज, जन आंदोलन व दुनिया को बेहतर बनाने का स्वप्न था। यह बात साहित्यकार, शिक्षक और सोशल एक्टिविस्ट एस के पंजम के दूसरे स्मृति दिवस पर आयोजित स्मृति सभा और परिसंवाद में जन संस्कृति मंच उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष कौशल किशोर ने कही। कार्यक्रम का आयोजन पीपुल्स यूनिटी फ़ोरम तथा नागरिक परिषद की ओर से हजरतगंज स्थित सी. बी. सिंह स्मृति सभागार में हुआ। अध्यक्षता राही मासूम रज़ा एकेडमी के महामंत्री रामकिशोर ने की व संचालन पीपुल्स यूनिटी फ़ोरम के वीरेंद्र त्रिपाठी, एडवोकेट ने की ।

कौशल किशोर ने उनके रचनात्मक कार्य का संदर्भ देते हुए कहा कि पंजम के व्यक्तित्व को देखते हुए कई बार यह अविश्वसनीय सा लगता है कि क्या किसी व्यक्ति के अन्दर इतनी खूबियां हो सकती हैं। वे दलित पृष्ठभूमि से आए थे, लेकिन उनकी दिशा दलितवादी नहीं थी। फुले, शहीद भगत सिंह, डॉ अम्बेडकर, कार्ल मार्क्स आदि से मिलकर उनकी विचारधारा बनी थी। इसीलिए उनका असमय जाना अपूर्णीय क्षति है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राम किशोर ने एस. के .पंजम के साथ की यादों को साझा किया और कहा कि रैदास पर उनका काम विशिष्ट है। उन्होंने रैदास के संपूर्ण वांग्मय को सामने लाकर जन रैदास को प्रतिष्ठित किया। इस मौके पर राम किशोर ने घोषणा की कि पंजम जी के रैदास पर किए काम को लेकर लखनऊ में जल्दी ही एक बड़ा आयोजन किया जाएगा।

परिसंवाद का विषय था ’नये समाज के निर्माण के लिए’ नई संस्कृति की जरूरत है। इसकी शुरुआत कानपुर के ट्रेड यूनियन नेता कामरेड वालेन्द्र कटियार ने की। उनका कहना था कि सांस्कृतिक क्रांति के बिना कोई भी बदलाव संभव नहीं है। समाज में संस्कृति की बड़ी भूमिका है।भारतीय समाज में तो संस्कृति को बदलकर ही कोई भी सच्चा बदलाव हो सकता है। क्रांति से राजनीतिक बदलाव भले हो गया है, परन्तु वहां बाद में सांस्कृतिक क्रांति की जरूरत रहती है। ऐसा हमने चीन के संदर्भ में देखा भी।

इस मौके पर भगवती सिंह, के के शुक्ला, ओ पी सिन्हा, नरेश कुमार, राजा राम, राजीव रंजन श्राजूश्, रूप कुमार गौतम आदि ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम की शुरुआत एस के पंजम के चित्र पर माल्यार्पण से हुई।पंजम की जीवन साथी बिन्दा पंजम और उनके परिवार जन इस अवसर पर उपस्थित थे।

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