कारोबार

ई-कॉमर्स कंपनियां कर रही धारा-79 का गलत इस्तेमाल : कैट

  • कैट का आईटी कानून की धारा 79 को स्पष्ट करने की मांग

नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव से धारा-79 को स्पष्ट करने की मांग की है। कैट ने रविवार को आईटी मंत्री को एक पत्र भेजकर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा-79 और उसके नियमों के स्पष्टीकरण की मांग की है। कारोबारी संगठन कैट ने जारी एक बयान में कहा कि धारा-79 के अस्पष्ट होने से अमेजन, फ्लिपकार्ट, ओला, उबर और जोमैटो सहित ऑनलाइन दवा बेचने वाली ई-कामर्स कंपनियां गलत सामान बेचती हैं। ये कंपनियां कई तरह की गलत जानकारी देने के साथ-साथ अपने पोर्टल पर बिक रहे सामान और सेवाओं की जिम्मेदारी न लेते हुए धारा-79 का सहारा और सुरक्षा लेकर कानूनी कार्रवाई से भी बच जाती हैं।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि आईटी एक्ट की धारा-79 में वो कंपनियां जो विशुद्ध रूप माल अथवा सेवा बेचने या खरीदने वाले को ई-कामर्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध करती हैं, जिसमें उनका किसी भी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं है, लेकिन धारा- 79 के तहत उनको किसी भी कानूनी करवाई से बचने की सुरक्षा प्राप्त है। जबकि उपरोक्त कंपनियां जो भी व्यावसायिक काम करती हैं उसमें सीधे तौर पर उनका हित और हस्तक्षेप होता है। खंडेलवाल ने कहा कि यह सर्वविदित है कि ये सभी कंपनियां हर तरह का खराब माल अथवा सेवा देती हैं, लेकिन कभी भी अपने पोर्टल के जरिए बेचे गए सामान और सेवाओं के लिए जिम्मेदारी नहीं लेती हैं। ये कंपनियां धारा-79 के तहत अपने को केवल बिचौलिया कहकर अपना पल्ला झाड़ लेती हैं।

कैट महामंत्री ने कहा कि ऐसी सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत वितरण, भंडारण, भुगतान, विज्ञापन और उत्पाद देनदारियों और अनुचित व्यापार प्रथाओं से संबंधित सभी कानूनों और नियमों के लिए सीधे जिम्मेदार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय के डीपीआईआईटी विभाग ने अपने एक पत्र में इस स्थिति को स्पष्ट किया है, लेकिन ये कंपनियां धारा-79 का सहारा अपनी गलतियों से बचने के लिए करती हैं। ऐसे में खंडेलवाल ने आईटी मंत्री को पत्र भेजकर धारा-79 को पूरी तरह से स्पष्ट करने की मांग की है।

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