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शिंजो आबे: दादा से विरासत में मिली राजनीति, सर्वाधिक समय तक रहे जापान के प्रधानमंत्री

  • 2006 में 52 वर्ष की उम्र में बने जापान के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री

टोक्यो। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या से पूरा विश्व दुखी और सकते में है। आबे को अपने दादा से विरासत में राजनीति मिली थी और वे सर्वाधिक लंबे समय तक जापान के प्रधानमंत्री रहे। जापान के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली नेता माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की शुक्रवार को एक सभा में भाषण देते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शिंजो आबे को राजनीति विरासत में मिली थी। उनके दादा नोबुसुके किशी भी जापान के प्रधानमंत्री रहे थे। शिंजो आबे अपने दादा के मार्गदर्शन में आगे बढ़े। आबे ने जापान को सैन्य रूप से ज्यादा ताकतवर बनाने तथा अंतरराष्ट्रीय मामलों में देश की बड़ी भूमिका पर ध्यान दिया। आबे ने 2020 में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले वे सर्वाधिक समय तक देश के प्रधानमंत्री रहे।

उन्होंने ने इसाकू सातो के रिकॉर्ड को तोड़ा जो 1964 से 1972 तक 2798 दिन प्रधानमंत्री रहे। आबे 2006 में 52 साल की उम्र में जापान के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने थे, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से उनका पहला कार्यकाल एक साल बाद अचानक समाप्त हो गया। वे पहले 26 सितंबर 2006 से 26 सितंबर 2007 तक और फिर 26 दिसंबर 2012 से 16 सितंबर 2020 तक जापान के प्रधानमंत्री रहे। आबे ने यह कहते हुए प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था कि उनकी एक पुरानी बीमारी अल्सरेटिव कोलाइटिस फिर से उभर आई है। आबे ने उस समय पत्रकारों से कहा था कि अपने कई लक्ष्यों को अधूरा छोड़ना उनके लिए परेशान करने वाली बात है।

आबे: स्टील कंपनी में नौकरी से प्रधानमंत्री तक

  • 21 सितंबर, 1954: टोक्यो में जन्म
  • 1977: टोक्यो के सेइकी विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक
  • 1979: कोबे स्टील कंपनी में नौकरी
  • 1982: विदेश मंत्रालय में काम के लिए नौकरी छोड़ी
  • 1993: पहली बार यामागुची के दक्षिण-पश्चिमी प्रांत से जनप्रतिनिधि चुने गए
  • 2005 : प्रधानमंत्री जुनीचिरो कोइजुमी सरकार में मुख्य कैबिनेट सचिव नियुक्त
  • 2006 : पहली बार जापान के प्रधानमंत्री बने।
  • 2007 : स्वास्थ्य कारणों से प्रधानमंत्री पद छोड़ा
  • 2012 : दूसरी बार प्रधानमंत्री बने
  • 2020 : फिर स्वास्थ्य कारणों से प्रधानमंत्री पद छोड़ा।

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