उत्तर प्रदेशखेती-किसानीबड़ी खबरलखनऊ

उत्तर प्रदेशः 45 किलो की बोरी को आधा लीटर का नैनो यूरिया करेगा रिप्लेस

  • प्रदेश में नैनो यूरिया का उत्पादन करेगा इफको
  • ट्रांसपोर्टेशन से लेकर स्टोरेज करने तक में होगी आसानी
  • पर्यावरण के लिए हितैषी तो उपज में भी करेगा बढ़ोतरी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए नित नए कदम उठा रही है। इसी कड़ी में योगी सरकार प्रदेश के किसानों को नैनो यूरिया उपलब्ध कराने के प्रयास में जुट गई है। प्रदेश में नैनो यूरिया का उत्पादन इफको करेगा। स्वदेशी तकनीक पर आधारित नैनो यूरिया एक तरफ जहां किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा, वहीं केंद्र सरकार को इस पर एक रुपये भी सब्सिडी नहीं देनी पड़ेगी। इस मुद्दे पर सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत की।

दुनिया में पहली बार भारत ने बनाया नैनो यूरियाः

उत्तर प्रदेश सरकार के सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने कहा है कि नैनो यूरिया एक बहुत अच्छा उत्पाद है। यह इफको द्वारा बनाया जा रहा है। इसका अविष्कार जोधपुर के वैज्ञानिक रमेश रालिया ने किया है। यह लिक्विड फॉर्म में है। भारत में या फिर यूं कहें कि दुनिया में अभी तक ठोस यूरिया का ही उपयोग होता रहा है। भारत में यूरिया की 45 किलो की बोरी है। यह यूरिया सीधे मिट्टी पर डाला जाता था। उसी का लाभ फसलों को मिलता था। नैनो यूरिया तरल रूप में है। नई तकनीक से 45 किलो की बोरी को आधा लीटर नैनो यूरिया से रिप्लेस किया जा रहा है।

एक एकड़ खेत में आधा लीटर नैनो यूरिया होगा पर्याप्तः

उन्होंने बताया कि आधा लीटर नैनो यूरिया एक एकड़ खेत के लिए पर्याप्त है। इसकी खासियत है कि नैनो यूरिया का छिड़काव जमीन पर करने के बजाय फसल की पत्तियों पर किया जाता है। पतियों के ऊपर बहुत छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। एक सेंटीमीटर का 10वां हिस्सा मिली मीटर होता है। एक मिली मीटर का एक हजारवां हिस्सा माइक्रो मीटर होता है। इसका भी एक हजारवां हिस्सा नैनो मीटर है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह नैनो यूरिया कैसे फसल को सीधे लाभ पहुंचाएगा।

नैनो यूरिया का प्रयोग पर्यावरण हितैषी भीः

नैनो यूरिया छिद्रों के माध्यम से पत्ती के अंदर चला जाता है। जब फोटोसिंथेसिस के माध्यम से पत्तियां अपना भोजन बनाती है तो उसमें यह नैनो यूरिया उसके लिए मददगार साबित होता है। कुछ ही दिनों में वह पौधा हष्ट पुष्ट और मजबूत हो जाता है। फसल लहलहाने लगती है। इस कारण उपज बहुत बढ़ जाती है। सॉलिड यूरिया का 60 से 70 फीसदी उपयोग में आती थी। 30 से 35 फीसद यूरिया बेकार हो जाता था। इस कारण मृदा प्रदूषण और जल प्रदूषण होता था। लिक्यूड यूरिया के उपयोग का प्रतिशत बढ़ जाएगा। 20-30 प्रतिशत नैनो यूरिया वाष्प के रूप में ऊपर उड़ जाता है। इस दृष्टि से पर्यावरण के लिए नुकसानदायक भी नहीं है।

उपज में होगा 25 फीसदी तक इजाफाः

अभी इसका उपयोग करने के बाद यह पता चला है कि करीब आठ प्रतिशत उपज बढ़ जाती है। आने वाले समय में इसी यूरिया के प्रयोग से करीब 25 फीसद उपज में इजाफा होगा। यूरिया का 94 फसलों और 11 हजार स्थानों पर प्रयोग कर परीक्षण किया गया है। इसके बाद भारत सरकार ने इसे प्रमाणित किया है कि यह अच्छी खाद है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि यह भारत निर्मित है। भारत की तकनीक है। भारत के वैज्ञानिक ने बनाया है। दुनिया के किसी और देश में इस तरह की यूरिया का अभी तक निर्माण नहीं हुआ है।

केंद्र सरकार को नहीं देनी पड़ेगी सब्सिडीः

जेपीएस राठौर ने बताया कि इसके प्रयोग से एक और लाभ है। इस यूरिया पर केंद्र सरकार को कोई सब्सिडी नहीं देनी पड़ेगी। अभी तक एक बोरी यूरिया में भारत सरकार को 2000 से लेकर 3800 रुपये तक सब्सिडी देनी पड़ती थी। स्वदेशी तकनीक से बनने की वजह से भारत सरकार की सब्सिडी इसपर जीरो है। एक भी रुपया सब्सिडी के रूप में भारत सरकार को नहीं देना पड़ेगा।

विदेशी मुद्रा बचेगीः

उन्होंने बताया कि विदेशों से हमें यूरिया नहीं खरीदनी पड़ेगी। अपने प्रदेश में ही इसका उत्पादन होगा। प्रदेश में इफको नैनो यूरिया का उत्पादन करेगा। इससे फॉरेन करेंसी भी देश की बड़ी मात्रा में बचेगी। इससे किसानों को भी फायदा होगा। इसका ट्रांसपोर्टेशन बहुत आसान होगा। इसका स्टोरेज आसान होगा। मुझे लगता है किसानों के लिए यह क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में सफल होगा। कृषि के क्षेत्र में नैनो यूरिया मील का पत्थर साबित होगा।

खबरी अड्डा

Khabri Adda Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2019. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2019.

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button