उत्तर प्रदेशलखनऊ

पूरे देश से पहुंचे विषय विशेषज्ञ, लखनऊ विवि में 250 शोध पत्रों पर हुआ मंथन

  • प्रो. बी.बी. मोहंती ने कहा, स्वतंत्रता के बाद समाजशास्त्र हो गया है पश्चिमीकृत

लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र और समाजकार्य पर चल रहे सेमिनार में शनिवार को पूरे देश से पहुंचे विषय विशेषज्ञों ने 250 शोध पत्र प्रस्तुत किये और उस पर चर्चा की गयी। इसमें प्रोफेसर अनंत कुमार गिरी ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में क्षेत्रीय लेखक अपनी क्षेत्रीय भाषा में लिखना पसंद नहीं करते हैं। इस कारण उस शोध को जन सामान्य में जो सम्मान मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पाता। साथ ही उन्होंने भारत की मातृ भाषाओं में किए गए दार्शनिक लेखन और उनके व्यापक सैद्धांतिक अन्वेषण और दार्शनिक प्रभाव पर प्रकाश डाला।

प्रोफेसर बी.बी. मोहंती ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद समाजशास्त्र पश्चिमीकृत हो गया। विभिन्न क्षेत्रों और उनके इतिहास की विविध सामाजिक सांस्कृतिक विशिष्टताओं की अनदेखी की गई। समाजशास्त्र में क्षेत्रीय अध्ययनों की आवश्यकता थी। अंततः इसके लिए भारतीय समाजशास्त्र में भारतीय क्षेत्रीय समाजशास्त्र के एजेंडा को आगे बढ़ाया गया। प्रोफेसर एंटोनी पलक्कल ने केरल में समाजशास्त्र के अनुशासन के विकास और केरल में व्यवसायिकता, ज्ञान उत्पादन, नीति निर्माण और सार्वजनिक प्रवचन में समाजशास्त्र, किस प्रकार से योगदान दे रहा है, से संबंधित अपने विचार व्यक्त किए। प्रो. आर. इंदिरा ने क्षेत्रीय भाषा कन्नड़ पर आत्म माध्यम के रूप में जोर दिया, जो छात्र दक्षताओं के निर्माण और ज्ञान प्राप्ति और प्रसारण को बढ़ाने में मदद करता है।

प्रो. जगन कराडे ने कहा कि किसी क्षेत्र के विकास की पहचान उस क्षेत्र के शिक्षकों और छात्रों की संख्या से होती है। प्रो. कराडे ने कहा कि शुरुआती दौर में विकास के समाजशास्त्र में काफी योगदान समाज वैज्ञानिकों ने दिया, जबकि प्रोफेसर आजईलू नूईमे ने पूर्वोत्तर भारत के समाजशास्त्र के इतिहास के विश्लेषण में मुख्य रूप से इसके सिद्धांत निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया। प्रो. नवनीता राठ ने ओडिशा राज्य का अध्ययन विशेष रूप से इस राज्य कि विभिन्नताओं के कारण किया, जो इसे क्षेत्रीय अध्ययन का एक हिस्सा बनने और समाजशास्त्र में क्षेत्रीय अध्ययन पर एक उप-विषय के रूप में पेश करने के लिए भी समर्थन करता है।

इसके साथ प्रो. मनोज के. जेना ने जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण की बात करते हुए बताया कि दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण किस प्रकार मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। जबकि प्रोफेसर श्वेता प्रसाद ने लिंग और पर्यावरण से संबंधित विभिन्न प्रवचनों का मूल्यांकन किया। पर्यावरण के अध्ययन में महिलाओं की अज्ञानता के बारे में और पर्यावरण से सम्बंधित महिलाओं कि स्थिति के बारे में सूचित किया।

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