विदेशी कोयला खरीद पर उत्पादन निगम ने दाखिल किया जवाब, खरीद होने पर बढ़ेगी बिजली दर
- उपभोक्ता परिषद विदेशी कोयला न खरीदे जाने का बना रहा दबाव
लखनऊ। विदेशी कोयले की खरीद पर राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा राज्य उत्पादन निगम से किये गये सवालों का जवाब दाखिल हो गया है। उसमें खरीद के कारणों में बताया गया है कि दैनिक उपयोग की अपेक्षा 30 प्रतिशत कम कोयला केन्द्र सरकार से मिल रहा है। यदि कोयले की खरीद विदेश से होती है तो 70 पैसे तक प्रति यूनिट बिजली दर में बढ़ोत्तरी होने का अनुमान है। उधर उपभोक्ता परिषद भी विदेशी कोयला खरीद न हो, इसके लिए लगातार दबाव बना रहा है।
सोमवार को भी उपभोक्ता परिषद् आयोग के चेयरमैन से मुलाकात कर उत्पादन निगम का अनुमान गलत बताया। उपभोक्ता परिषद का कहना है कि अब विदेशी कोयला रुपया 17 हजार प्रति टन के पार हो गया है। ऐसे में दरों में रुपया एक प्रति यूनिट की हो सकती है। विदेशी कोयले की खरीद हुई तो रुपया 5000 करोड़ का खर्च होगा। ऐसे में इस पर रोक लगनी चाहिए।
सोमवार को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम के प्रबंध निदेशक पी गुरुप्रसाद की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में जो जवाब दाखिल किया गया है। उसमें यह मुद्दा उठाया गया कि उत्पादन निगम की तापीय परिजनों के दैनिक कोयला आवश्यकता लगभग 87900 मैट्रिक टन है। वहीं उसके सापेक्ष वर्तमान में औसतन 61309 मेट्रिक टन कोयला आपूर्ति किया जा रहा है अर्थात लगभग 30 प्रतिशत कोयले की कम सप्लाई दी जा रही है। उसी परिपेक्ष्य में 10 प्रतिशत विदेशी कोयला खरीदने का जो लक्ष्य उत्पादन निगम द्वारा बताया गया है। वह 18.95 लाख मेट्रिक टन आंकलित किया गया है।
उपभोक्ता परिषद के अनुसार आयोग के सभी तकनीकी सवालों पर उत्पादन निगम ने गोलमोल जवाब दिया, जबकि जवाब केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की गाइड लाइन के तहत होना चाहिए । उपभोक्ता परिषद् ने कहा कि वर्तमान दर के अनुसार रू0 90 पैसे प्रति यूनिट से लेकर रू0 एक प्रति यूनिट तक उत्पादन लागत में वृद्धि होगी, जिसका खामियाजा जनता को भुगतना होगा।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग चेयरमैन आरपी सिंह से मुलाकात कर एक लोक महत्व प्रस्ताव सौंपते हुए अनेकों तकनीकी व विधिक सवाल उठाए। कहा कि भारत सरकार लगातार उत्तर प्रदेश पर दबाव डालकर विदेशी कोयला क्यों खरीदवाने पर लगी है, जबकि स्वयं ऊर्जा मंत्री आरके सिंह कोयला सचिव सहित कोयला मंत्री बार-बार बयान दे रहे कि कोयले की कोई कमी नहीं है। ऐसे में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोत्तरी करने की साजिश क्यों की जा रही है। उपभोक्ता परिषद ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए विद्युत नियामक आयोग से ऊर्जा की सबसे बड़ी संवैधानिक समिति राज्य सलाहकार समिति की बैठक बुलाने की मांग उठाई है और कहा है कि यह गम्भीर मुद्दा उसमें भी चर्चा किया जाना उचित होगा।