द लोटस टेम्पल तक नहीं पढ़ सका मदरसे का छात्र: अनीता अग्रवाल
लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य बाल संरक्षण अधिकार आयोग की सदस्य अनीता अग्रवाल ने कहा कि बहराइच के मदरसे में जाने पर हमने पाया कि वहां का छात्र अंग्रेजी की पुस्तक में द लोटस टेम्पल तक नहीं पढ़ पाया। अनीता अग्रवाल ने बहराइच दौरे के दौरान दारुल उलूम मसोदिया और दारुल फिक्र दरगाह में औचक निरीक्षण किया। बहराइच के निरीक्षण कार्यक्रम के बाद उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत की और कहा कि दोनों ही मदरसों में आठवीं कक्षा का छात्र अंग्रेजी के तीन शब्द नहीं पढ़ सका। वह दिस को टिस बता रहा था। मदरसे के लोग नहीं चाहते कि उनके यहां का छात्र आईएएस बने, पीसीएस बने। वे केवल उन्हें उर्दू और कुरान पढ़ा रहे हैं। मुझे वहां हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान की एक भी पुस्तक नहीं मिली।
आयोग की सदस्य ने कहा कि बहराइच में दो मदरसों में मुआयना में मैंने पाया कि वहां बच्चे आधुनिक शिक्षा से काफी दूर हैं। वहां कुरान पढ़ाने पर जोर दिया जा रहा था। प्रधानमंत्री जी का विजन है कि मदरसे के छात्र के एक हाथ में कुरान हो तो दूसरे हाथ में कम्प्यूटर भी होना चाहिए। हमारा कहना है कि जीरो से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना हमारा काम है। बच्चे सही जगह पर जायें, उनके जीवन से खिलवाड़ न हो।
उन्होंने कहा कि मदरसे में मिली उर्दू की पुस्तक को शिक्षक भी ठीक से पढ़ नहीं सके। मुझे लगा कि वे कम पढ़े-लिखे हैं। आयोग का कहना है कि मान्यता प्राप्त मदरसे सभी विषयों की शिक्षा दें, बच्चों का भविष्य खराब न करें। बच्चे ही हमारे देश का भविष्य हैं। वे सिर्फ उर्दू पढ़कर किसानी करें, या पंक्चर बनाएं, यह ठीक नहीं है। उन्हें आधुनिक शिक्षा से जाेड़कर इस काबिल बनाया जाए कि वे देश की मजबूती में अपना विशेष योगदान दे सकें। लखनऊ के एक मदरसे के बारे में उन्होंने कहा कि मीडिया से गोसाईगंज के एक मदरसे की जानकारी मिली, जहां एक बच्चे को बांधकर रखा गया। जांच पड़ताल में पता लगा कि वह मदरसा मान्यता प्राप्त नहीं है। इसके बाद आयोग की ओर से हमने आयुक्त को कार्रवाई के लिए लिखा है।