नगरीय निकाय चुनावों में बड़ी जीत के लिए भाजपा ने बनाई रणनीति

- नगर निकायों के साथ ही मिशन 2024 की तैयारी में जुटी भाजपा
- उप्र में सरकार और संगठन का पूरा ध्यान निकाय चुनावों पर
लखनऊ। भाजपा का संगठन हो या उसकी सरकारें, 24 घंटे, 365 दिन चुनाव के लिए तैयार रहती हैं। मसलन गुजरात में जीत सुनिश्चित जानते हुए भी भाजपा ने चुनाव के तुरंत बाद दिल्ली मुख्यालय पर अगले साल सात राज्यों (कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा और नगालैंड) को देखते हुए दो दिन की बैठक की। बैठक की अहमियत क्या थी, पीएम मोदी की मौजदूगी से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके साथ ही उप्र के निकाय चुनाव को लेकर भी पार्टी गंभीरता से जुट गई है।
उत्तर प्रदेश में भी कमोबेश यही हालात हैं। लोकसभा की सर्वाधिक 80 सीटें होने से राजनीतिक रूप से यह सर्वाधिक अहमियत वाला राज्य है। लिहाजा यहां के हर चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूरा संगठन जीत सुनिश्चित करने के लिए खुद को झोंक देता है। हिमाचल और गुजरात के चुनावों में भारी व्यस्तता के बीच भी नगर निकाय चुनावों के लिए योगी आदित्यनाथ ने नगर निगमों में प्रबुद्ध सम्मेलनों का क्रम जारी रखा। 13 दिसंबर को मथुरा-वृंदावन में प्रबुद्धजन सम्मेलन इसकी अंतिम कड़ी है।
उल्लेखनीय है कि इस बार इन चुनावों में भाजपा क्लीन स्वीप के इरादे से उतर रही है। लिहाजा तैयारियों को और पुख्ता करने एवं जीत सुनिश्चित करने के लिए गुजरात के नतीजे आने के तुरंत बाद संगठन एवं मुख्यमंत्री स्तर पर बैठक कर मुकम्मल रणनीति तैयार करने के साथ किसकी क्या जिम्मेदारी है, यह भी साफ-साफ बता दिया गया।
इस क्रम में पिछले दिनों बीजेपी की संगठनात्मक बैठक हो चुकी है। इसमें सभी मोर्चों के प्रदेश अध्यक्ष, जिला प्रभारी और जिलाध्यक्ष भी शामिल थे। किसकी क्या जिम्मेदारी है, इस बाबत स्पष्ट निर्देश दिए जा चुके हैं। यह भी तय हुआ कि मुख्यमंत्री ने नगर निगमों के चुनावों के मद्देजर प्रबुद्धजनों से संवाद का जो सिलसिला शुरू किया है,उसे जारी रखते हुए हम जनसंपर्क पर भी खास जोर देंगे। इस तरह की बैठकों का क्रम अभी जारी रहेगा।
बाद में संगठन और सरकार की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विकास और तेज गति से आगे बढ़े, इसके लिए ट्रिपल इंजन की सरकार जरूरी है। वह पहले ही नगर निगम चुनावों में क्लीन स्वीप का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। जिस जगह उन्होंने प्रबुद्ध सम्मेलन किए, वहां लोकार्पण एवं शिलान्यास के जरिए विकास की सौगात देकर इस बाबत अपनी प्रतिबद्धता भी जताई।
पिछले चुनावों में 16 नगर निगमों में से अलीगढ़ एवं मेरठ को छोड़ बाकी सभी जगहों पर भाजपा का महापौर चुना गया था। इस बार इरादा क्लीन स्वीप का है। 2017 की तुलना में बेहतर नतीजों और 2024 में आम चुनाव में मिशन 80 के मद्देजर मुख्यमंत्री कुछ बड़ी नगर पालिका परिषदों में भी प्रबुद्ध सम्मेलन कर सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि इन चुनावों में सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं ही प्रमुख मुद्दा होती हैं। यही वजह है कि नगरीय सुविधाओं में इजाफा करने के लिए सरकार भरपूर धन भी उपलब्ध करा रही है। 33 हजार 700 करोड़ रुपये के अनुपूरक बजट में नई योजनाओं पर 14 हजार करोड़ रुपये खर्च का प्रावधान है। इसमें से अधिकांश रकम सड़क निर्माण और नागरिक सुविधाओं को बेहतर करने में खर्च होगी।