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भारत ने किया नौसेना वर्जन की वर्टिकली लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल का परीक्षण

  • ओडिशा तट पर चांदीपुर के पास चार गांवों को खाली करवाकर किया गया परीक्षण
  • रक्षामंत्री और डीआरडीओ चेयरमैन ने कहा, नौसेना के जहाजों की रक्षा क्षमता बढ़ेगी

नई दिल्ली। भारत ने ओडिशा तट पर चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से शुक्रवार को वर्टिकली लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (वीएल-एसआरएसएएम) का सफल परीक्षण किया। मिसाइल लॉन्च करने से पहले बालासोर जिले के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के पास करीब ढाई किलोमीटर का इलाका खाली करवाकर चार गांवों के लगभग 8,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और डीआरडीओ के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी ने डीआरडीओ और भारतीय नौसेना को बधाई देते हुए कहा कि यह सफलता हवाई खतरों के खिलाफ नौसेना के जहाजों की रक्षा क्षमता को और बढ़ाएगी।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने शुक्रवार दोपहर ओडिशा के चांदीपुर के तट पर भारतीय नौसेना के जहाज से स्वदेशी वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के लॉन्च पैड नंबर 3 से किया गया। नौसेना वर्जन की इस मिसाइल प्रणाली को युद्धपोत से हवा में रक्षा के लिए डिजाइन किया गया है। वीएल-एसआरएसएएम जहाज से चलने वाली हथियार प्रणाली है, जो समुद्री-स्किमिंग लक्ष्यों सहित निकट सीमा पर विभिन्न हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए है। आज का प्रक्षेपण उच्च गति वाले हवाई लक्ष्य की नकल करने वाले विमान के लिए किया गया, जिसने सफलतापूर्वक लक्ष्य को मार गिराया।

डीआरडीओ के अनुसार परीक्षण के दौरान उड़ान मार्ग और वाहन के प्रदर्शन मापदंडों की निगरानी उड़ान डेटा का उपयोग किया गया। परीक्षण के लिए विभिन्न रेंज उपकरणों रडार, ईओटीएस और टेलीमेट्री सिस्टम को आईटीआर, चांदीपुर ने तैनात किया गया था। डीआरडीओ और भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी प्रक्षेपण की निगरानी की। आज किए गए शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल के परीक्षण ने अपनी उपयोगिता साबित की है। भारतीय नौसेना के जहाजों पर तैनाती से पहले कुछ और परीक्षण किए जाएंगे। एक बार तैनात होने के बाद यह प्रणाली भारतीय नौसेना के लिए बहु उपयोगी साबित होगी।

इससे पहले डीआरडीओ पिछले साल 22 फरवरी को ओडिशा तट पर वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल के दो सफल परीक्षण कर चुका है। पहले प्रक्षेपण ने ऊर्ध्वाधर प्रक्षेपण प्रणाली, मिसाइल की अधिकतम और न्यूनतम सीमा की प्रभावशीलता का परीक्षण किया। दोनों मिसाइलों ने अपने लक्ष्य को पिन पॉइंट सटीकता के साथ सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट किया था। एस्ट्रा मिसाइल एमके-1 पर आधारित इसकी रेंज फिलहाल 40 किलोमीटर है लेकिन भविष्य में एस्ट्रा एमके-2 की तरह इसकी मारक क्षमता 80 किलोमीटर तक बढ़ाई जाएगी। नौसेना के वेरिएंट को युद्धपोत पर रडार सिस्टम के साथ एकीकृत किया जाएगा ताकि दुश्मन का पता लगाया जा सके। इसे फ्रंटलाइन युद्धपोतों पर इजरायल की बराक-1 प्वाइंट डिफेंस इंटरसेप्टर मिसाइलों की जगह बदला जाना है।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और भारतीय नौसेना को बधाई देते हुए कहा कि इस प्रणाली के रूप में एक ऐसे हथियार को शामिल किया गया है, जो हवाई खतरों के खिलाफ भारतीय नौसेना के जहाजों की रक्षा क्षमता को और बढ़ाएगा। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि इस स्वदेशी मिसाइल प्रणाली के विकास से भारतीय नौसेना की रक्षात्मक क्षमताओं को और मजबूती मिलेगी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने कहा कि इस परीक्षण ने भारतीय नौसेना के पोतों पर स्वदेशी हथियार प्रणाली के एकीकरण को साबित कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह भारतीय नौसेना के बल को बढ़ाने वाला साबित होगा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण की दिशा में एक और मील का पत्थर है।

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