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हैदराबाद की मक्का मस्जिद परिसर में होगा मुकर्रम जाह का अंतिम संस्कार, मुख्यमंत्री ने जताया शोक

हैदराबाद। हैदराबाद रियासत के अंतिम निज़ाम के पौत्र एवं उत्तराधिकारी निजाम मीर बरकत अली खान ‘मुकर्रम जाह बहादुर का अंतिम संस्कार बुधवार को शाम को हैदराबाद की ऐतिहासिक मक्का मस्जिद परिसर में होगा। जाह के निधन पर मुख्यमंत्री ने भी शोक जताया है। मुकर्रम जाह ट्रस्ट के कार्यदर्शी फ़ैज़ खान ने बताया कि मंगलवार शाम को एक विशेष विमान से तुर्की के इस्तांबुल से मुकर्रम जाह का पार्थिव शरीर हैदराबाद पहुंच गया है। लोगों के अंतिम दर्शन के लिए हैदराबाद के ऐतिहासिक चौमहल्ला पैलेस में रखा गया। जानकारी के अनुसार बुधवार दोपहर बाद शव को चौमहल्ला पैलेस से मक्का मस्जिद ले जाया जाएगा और वहीं पर पारंपरिक रिवाज के अनुसार आसफ जाही पारिवारिक मकबरे में दफनाया जाएगा।

मुकर्रम जाह के निधन पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने शोक जताया। मुख्यमंत्री राव, राज्यमंत्री विमला प्रशांत रेड्डी और सांसद संतोष ने निजाम मीर बरकत अली खान के निधन पर अपना शोक व्यक्त किया और उनके परिजनों से मिले हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया कि मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने मुकर्रम जाह की शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्र में की गयी सेवाओं याद किया। उन्होंने मुख्य सचिव शांति कुमारी एवं विशेष सलाहकार एके खान को निर्देश दिये कि सर्वोच्च आधिकारिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाए। इसके बाद मुख्यमंत्री ने सलाहकार एके खान ने अधिकारियों के साथ मक्का मस्जिद का दौरा किया और अंतिम संस्कार के प्रबंधों का निरीक्षण किया।

तेलंगाना के गृहमंत्री मुहम्मद महमूद अली ने भी मुकर्रम जाह बहादुर के निधन पर शोक जताया है। गृहमंत्री ने कहा कि मुकर्रम हैदराबाद और हैदराबादियों से बेहद प्यार करते थे। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में स्मरणीय सेवा कार्य किये। मंत्री ने शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। गृह मंत्री ने कहा कि नवाब मुकर्रम जाह बहादुर की इच्छा के अनुसार उन्हें मक्का मस्जिद में दफनाया जाएगा, जहां उनके पूर्वजों को दफनाया गया था।

उल्लेखनीय है कि मुकर्रम जाह का निधन 14 जनवरी को तुर्की के शहर इस्तांबुल में हो गया था। वे 89 वर्ष के थे और कुछ समय से बीमार चल रहे थे। मीर उस्मान अली खान के निधन के बाद 6 अप्रैल, 1967 को उन्हें आठवें आसफ जाह का ताज पहनाया गया था। मुकर्रम जाह की पांच शादियां हुई थीं। उनकी पहली पत्नी एक तुर्की मूल की महिला एसरा बिरगिन हैं, इनसे दो संतान प्रिंस अज़मत जाह और शेखया बेगम हैं। मुकर्रम जाह अपने पिता की तरह 1980 के दशक तक भारत के सबसे अमीर व्यक्ति माने जाते थे। 1990 के दशक में तलाक के निपटारे में उन्होंने कुछ संपत्ति खो दी थी। मुकर्रम जाह का जन्म वर्ष 1933 में प्रिंस आजम जाह और दुरू शहवार के घर हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के दून स्कूल में हुई और उच्च शिक्षा लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और रॉयल मिलिट्री अकादमी सैंडहर्स्ट में हुई थी।

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