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जैसे कर्म वैसा फल, बंद हो गई हिंडनबर्ग

मृत्युंजय दीक्षित


अमेरिका में भारत समर्थक नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के पूर्व ही अमेरिका से भारत हित के दो महत्वपूर्ण समाचार प्राप्त हुए हैं, जिनके कारण जहां एक और भारतीय शेयर बाजार में आनंदोत्सव मनाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर कुछ राजनीतिक हलकों में निराशा व दुख का वातवरण है। जिस कंपनी की रिपोर्ट को आधार मानकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में संपूर्ण विपक्ष हर चुनाव में अंबानी -अडाणी,अंबानी -अडाणी की रट लगा रहा था अब वह कंपनी ही बंद हो गई है। अमेरिका से दूसरा समाचार यह है कि अमेरिका ने भारत पर लगे परमाणु प्रतिबंधो को समाप्त कर दिया है।

लोकसभा, उसके बाद हुए विधान सभा चुनावों के बाद संसद के विगत शीतकालीन सत्र में भी विपक्ष ने अडाणी का मुद्दा उठाकर सदन की कार्यवाही तक नहीं चलने दी। राहुल गांधी ने एक पोस्टर जारी किया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और गौतम अडाणी का चित्र बना था तथा लिखा था “एक हैं तो सेफ हैं।“विपक्ष हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट तक चला गया था यद्यपि वहां उसे मात खानी पड़ी थी। विपक्ष हिंडनबर्ग की तथाकथित रिपोर्ट के मुद्दे जाँच संयुक्त संसदीय समिति से कराने की मांग कर तथा किन्तु उनका परम हितैषी हिंडनबर्ग अमेरिका में अपनी जांच प्रारंभ होने से पहले ही दुकान बंद करके भाग खड़ा हुआ।

अमेरिका की इंवेस्टमेंट रिसर्च फर्म और शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग के संस्थापक नाथन एंडरसन ने कंपनी बंद करने की घोषणा की, यह घोषणा उस समय की गई है जब हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी न्याय विभाग और यूएस एसईसी द्वारा जांच के दायरे में आ गई। कंपनी को नियमों के उल्लंधन के लिए भारतीय नियामक सेबी द्वारा जांच और कारण बताओ नोटिस भी जारी किया चुका है। कई अन्य नियामकों ने भी हिंडनबर्ग पर चारों ओर से शिकंजा कसा । इस कंपनी ने अभी तक सेबी के नोटिस का जवाब तक नहीं दिया है।

जब से हिडनबर्ग के बंद होने की घोषणा हुई है, तब से सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म्स इसको लेकर हलचल है, एक यूजर ने लिखा,“ कितने गाजी आए और कितने गाजी गए“। सोशल मीडिया में कहा जा रहा है कि एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि हिंडनबर्ग सुपारी लेकर भारत की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने और निजी मुनाफा कमाने के लिए काम कर रहा थी। कुछ यूजर्स का कहना है कि हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने का फैसला हैरान करने वाला है।यह फैसला उस समय लिया गया जब अमेरिकी न्याय विभाग हिंडनबर्ग की जांच करने की योजना बना रहा था। यह फैसला उस समय लिया गया जब ट्रंप सत्ता में आने जा रहे हैं।इस बात की भी गहराई से जांच होनी चाहिए कि राहुल गाँधी और कांग्रेस पार्टी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर कैसे भरोसा कर लिया था? इसी रिपोर्ट के आधार पर राहुल गांधी ने अपने मित्रों के साथ प्रेस वार्ता कर संसद की कार्यवाही बाधित की थी।

हिंडनबर्ग ने अपने सात वर्ष के कार्यकाल में सात बड़े शिकार किए और शेयर बाजार में उन्हें लहूलुहान कर डाला, इसी क्रम में कंपनी ने अदाणी समूह को भी लगातार निशाना बनाया। कंपनी 2023 में कम्पनी रिपोर्ट प्रकाशित करके अदाणी समूह पर कारपोरेट धोखाधड़ी का आरोप लगाती रही जिससे अदाणी समूह को वित्तीय मोर्चे पर दबाव का सामना करना पडा। हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख माधवी पुरी और उनके पति धवल बुच पर हितों के टकराव का आरोप लगाया। कंपनी ने दावा किया था कि उनकी विदेश स्थित ऐसी कंपनियों में हिस्सेदारी है जो गौतम अदाणी के लिए पैसों की हेराफेरी करती हैं। 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने आय और राजस्व की रिपोर्टिंग को लेकर इकान एंटरप्राइजेज एलपी की आलोचना की थी।

हिंडनबर्ग 2020 में इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने वाली कंपनी निकोला के पीछे पड़ गया था कहा गया कि निकेला ने अपनी तकनीक को लेकर निवेशकों से झूठ बोला है। इस मामले मे एक यूएस ज्यूरी ने 2022 में निकोला के संस्थापक ट्रेवर मिल्टन को धोखाधड़ी का दोषी करार दिया था। इसी प्रकार हिंडनबर्ग कंपनी ने पेमेंट कंपनी ब्लाक इंक में शॉर्ट पोजिशन मामले में आरोप लगाया कि कंपनी ने यूजर्स की संख्या को बढ़ा चढ़ाकर और लागत को कम करके दिखाया है। इसी प्रकार हिंडनबर्ग ने 2022 में टिवटर इंक पर चढ़ाई कर दी थी। 2022 में ही जेएंडजे परचेजिंग के खिलाफ जांच प्रारम्भ कर दी थी। इसके लिए हिंडनबर्ग ने किसी प्रकार से कंपनी के निगरानी वाले फुटेज तक प्राप्त कर लिये थे। फुटेज से पता चला कि जेएंड जे की मार्केंटिंग टीम के लोग लोगों को धोखाधड़ी वाली निवेश स्कीम में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे।

भारत में प्रवेश करते ही हिंडनबर्ग के सपने ऐसे चकनाचूर हुए कि वह अपनी दुकान बंद करके भाग निकली। भारत में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस नेता राहुल गांधी व संपूर्ण विपक्ष ने अदाणी समूह पर लगातार दोहरा रवैया अपना रखा है। एक ओर यह लोग अपनी सरकार वाले राज्यों में अदाणी समूह को निवेश के लिए बुलाते हैं और दूसरी और उनके नाम पर संसद ठप करते हैं । बीच में आए और सत्य सिद्ध हुए समाचार कि हिंडनबर्ग का मालिक नैट एंडरसन का भारत विरोधी जार्ज सोरोस से सीधा संपर्क रहा है। हिंडनबर्ग कंपनी अपना नया खुलासा करने से एक दिन पूर्व ही एक रहस्यमय ई मेल संदेश जारी कर देती थी और उसके बाद का काम राहुल गाँधी करते थे जिससे राजनैतिक गलियारों में गहमागहमी बढ़ जाती थी और शेयर बाजार हिल जाते थे फिर इसी आधार पर संसद तथा राज्य विधानमंडलों में अराजकता फैलाई जाती थी। इसीलिए कहा जा रहा है कि हिंडनबर्ग के बंद हो जाने के बाद जहां कुछ लोग आनंदोत्सव मना रहे हैं वहीं कुछ लोग दर्द से कराह उठे हैं।

जिन राजनैतिक तत्वों ने अपने स्वार्थ साधने की दृष्टि से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा व संघ की छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया तथा विदेशों में जाकर भारत विरोधी बयान दिए क्या अब वह लोग अपने कुकर्मो के लिए माफी मागेंगे? इन स्वार्थी तत्वों से फिलहाल ऐसी आस लगाना बेकार ही है क्यांकि अब यह लोग अपनी बात को सही साबित करने के लिए कोई नया रास्ता ढूंढ रहे होंगे। इस पूरे प्रकरण में यह तथ्य भी जांचने योग्य हो गया है कि हिंडनबर्ग के सभी खुलासे संसद सत्र आरम्भ होने के पूर्व ही क्यों होते थे?

ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद अमेरिकी धरती पर भारत विरोधी हरकतें करने वालों का एजेंडा संभवतः नही चलेगा और न ही इसमें व्हाइट हाउस का सहयेग मिल सकेगा । यह भी कहा जा रहा है कि हिंडनबर्ग भारत विरोधी डी पस्टेट का ही एक अहम हिस्सा था और ट्रंप के आगमन के साथ ही जब उसे लगा कि उसकी जांच होकर ही रहेगी और दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा तो डर कर हिंडनबर्ग का मालिक एंडरसन कंपनी बंद कर भाग खड़ा हुआ है।अमेरिका के रिपब्लिकन सांसद हिंडनबर्ग की कड़ी जांच और उसे अमेरिकी कानूनों के तहत कड़ी सजा दिलाने की मांग कर रह हैं और यह भी मांग कर रहे है कि हिंडनबर्ग से जुड़ी सभी फाइलों व कागजो को सुरक्षित रखा जाये क्योकि अमेरिकी कानूनों के तहत जब वहां पर सत्ता परिवतन होता है तब जज भी बदल जाते हैं।

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