
कॉड। समुद्री अन्वेषण विशेषज्ञों ने कहा है कि टाइटैनिक के मलबे वाली जगह के पास लापता हुई ओशनगेट पनडुब्बी में उसके गंतव्य तक पहुंचने से पहले मध्य महासागर विस्फोट होने की आशंका है। समुद्री अन्वेषण विशेषज्ञ डेविड गैलो ने स्काई न्यूज को गुरुवार को दिए साक्षात्कार में कहा, “यदि वह वहां (मलबे वाली जगह पर) नहीं थी, तो इसका मतलब है कि पानी के बीच में कुछ ऐसा हुआ होगा जिसके कारण उनकी बिजली या रेडियो संचार बंद हो गया।” उन्होंने कहा कि जल के नीचे अभियान की समयरेखा से पता चलता है कि चीजें समुद्र तल पर नहीं, बल्कि मध्य पानी में पहले से ही नियंत्रण से बाहर हो गई थीं। पानी में डूबने के करीब एक घंटे 45 मिनट बाद पनडुब्बी से संपर्क टूट गया, जबकि नीचे तक पहुंचने में दो घंटे लगते हैं।
गैलो ने सबमर्सिबल पर सवार यात्रियों में से एक पॉल-हेनरी नार्जियोलेट को अपना “सबसे अच्छा दोस्त” बताया। उन्होंने कहा, “सबसे खराब स्थिति “संभवतः विनाशकारी विस्फोट है जो भयानक होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि एक यान “इतनी जल्दी कैसे गायब हो सकता है। उल्लेखनीय है कि ओशनगेट पनडुब्बी रविवार को उत्तरी अटलांटिक में केप कॉड से लगभग 900 मील पूर्व में लगभग 13,000 फीट की गहराई में टाइटैनिक के मलबे को दिखाने ले जाने के दौरान लापता हो गई। पनडुब्बी में पांच लोगों की क्षमता और ऑक्सीजन की आपूर्ति है, जो 96 घंटे तक चल सकती है।
सोमवार सुबह से ही तलाश एवं बचाव अभियान जारी है। अमेरिकी कोस्ट गार्ड ने कहा है कि पनडुब्बी अगर क्षतिग्रस्त नहीं हुई है और अभी भी काम कर रही है, तो अंतरराष्ट्रीय समय के अनुसार गुरुवार को 10.30 तक उसकी ऑक्सीजन समाप्त हो सकती है। रविवार को टाइटैनिक के मलबे को देखने के लिए अटलांटिक महासागर में निकली एक ‘टाइटन’ नाम की टूरिस्ट पनडुब्बी दक्षिण-पूर्व कनाडा के तट से अचानक गायब हो गई। इसमें पायलट सहित पांच लोग सवार थे। जिसमें ब्रिटेन के अरबपति बिजनेसमैन हामिश हार्डिंग हैं।
हामिश ने नामीबिया से आठ चीते लाने के लिए भारत सरकार के साथ काम किया था। इसके अलावा पाकिस्तान के प्रसिद्ध कारोबारी शहजादा दाउद भी अपने बेटे सुलेमान के साथ इस पनडुब्बी में थे। एक कंपनी जो लोगों को पनडुब्बी में बिठाकर टाइटैनिक का मलबा दिखाने समुद्र में लेकर जाती है। समुद्री दुनिया में खोज करने वाली कंपनी ओशनगेट ने वर्ष 2021 में अपना टाईटैनिक सर्वे एक्सपीडिशन परियोजना शुरू की थी। इस परियोजना के तहत एक व्यक्ति पर करीब 2,50,000 डॉलर का खर्च आता है, यानी प्रति व्यक्ति करीब दो करोड़ रुपये से अधिक अधिक व्यय होता है। इस यात्रा पर 17 साल और उससे अधिक उम्र के लोग जा सकते हैं।