चार देशों (ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान) के समूह अर्थात जी-4 ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषदअपने स्थायी सदस्यों के वीटो के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के अपने दायित्व के निर्वहन में नाकाम रही है और इस मुद्दे पर व्यापक एवं गम्भीर विचार विमर्श की जरूरत है. संयुक्त राष्ट्र में जापान के स्थायी प्रतिनिधि किमिहिरो इशिकाने ने यह प्रतिक्रिया सोमवार को सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर अंतरसरकारी बातचीत को लेकर अनौपचारिक बैठक में जी-4 की ओर से बयान जारी करते हुए यह टिप्पणी की.
इशिकाने ने कहा, ‘वीटो के इस्तेमाल के कारण (संयुक्त राष्ट्र) सुरक्षा परिषद जरूरत के समय अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बहाल करने की अपनी जिम्मेदारी निभा पाने में नाकाम रही है. हमने देखा है कि विभिन्न मौकों पर इसकी विफलता इस महत्वपूर्ण संगठन के औचित्य को प्रभावित करती है.’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए वीटो के सवाल पर व्यापक और गम्भीर चर्चा की आवश्यकता है.’
पांच देशों के पास वीटो का अधिकार
बता दें कि वीटो पावर के इस्तेमाल करने का अधिकार अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के पास है, जबकि भारत समेत अन्य 10 अस्थायी सदस्य देशों के पास वीटो पावर के इस्तेमाल का अधिकार नहीं है. अगर वे किसी प्रस्ताव के विरोध में अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हैं तो वह प्रस्ताव पास नहीं होगा, इसे वीटो पावर कहा जाता है. यह सभी देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं और इन्होंने संघ के गठन में महत्पूर्ण भूमिका निभाई थी.
यूक्रेन संकट पर हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ प्रस्ताव किया गया था, जिसमें रूसी सैनिक को यूक्रेन से वापस बुलाने की बात कही गई थी. इस प्रस्ताव के पक्ष में 100 से ज्यादा देशों ने वोट डाला, जबकि चार देश ने इस प्रस्ताव का विरोध किया. इस प्रस्ताव पर भारत तटस्थ रहा और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था. इस दौरान भारत ने कहा था वह युद्ध नहीं चाहता है. भारत का कहना था कि युद्ध की बजाय बातचीत से मसले का समाधान किया जाना चाहिए.
(भाषा से इनपुट के साथ)