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तीस करोड़ से अधिक कोविड टीके की डोज देने वाला एकमात्र राज्य बना उप्र

  • ट्रिपल फोर की रणनीति से यूपी ने कम समय में संक्रमण पर पाया काबू
  • योगी सरकार ने दूसरे प्रदेशों के समक्ष पेश की बेहतरीन कोविड प्रबंधन की मिसाल

लखनऊ। आबादी के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं का इजाफा साल 2017 के पहले सबसे बड़ा मुद्दा हुआ करता था, लेकिन पिछले पांच सालों में योगी सरकार ने प्रदेश की चिकित्सीय सेवाओं में न केवल इजाफा किया बल्कि चिकित्सा शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता का कहना है कि सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोना में जान भी जहान भी के मूल मंत्र पर काम करते हुए दो सालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बूस्टर डोज देने का काम उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किया है। प्रवक्ता ने कहा कि इसका परिणाम है कि आज शहर से लेकर गांव तक स्वास्थ्य सेवाएं बढ़ीं हैं। बड़े शहरों में रेफर केस में कमी, सीएचसी पीएचसी का कायाकल्प, बड़े अस्पतालों में नए संसाधनों के साथ इलाज, वन डिस्ट्रिक वन मेडिकल कॉलेज के साथ वन डिस्ट्रिक वन लैब की नीति पर तेजी से काम किया जा रहा है।

सरकारी प्रवक्ता के अनुसार मार्च 2020 में जब कोरोना संक्रमण ने दस्तक दिया तब केजीएमयू में सिर्फ 70 सेंपल की जांच की व्यवस्था थी। आज सभी जिलों में आरटीपीसीआर लैब हैं जिसका परिणाम है कि यूपी में हर दिन दो से ढाई लाख तक जांच की जा रही हैं। यूपी 30 करोड़ से अधिक कोविड टीके की डोज देने वाला एकमात्र राज्य है। इसके साथ ही प्रदेश में अब तक 24 लाख से अधिक प्री-कॉशन डोज दी भी जा चुकी हैं। ट्रिपल फोर की रणनीति के तहत यूपी ने कम समय में न सिर्फ संक्रमण पर काबू पाया, बल्कि कोरोना के नए वेरिएंट के प्रसार को भी रोकने में सक्षम रहा।

कुशल प्रबंधन से तीसरी लहर का प्रभाव कम दिखा

प्रवक्ता ने बताया कि उप्र में स्वच्छता, कोविड गाइडलाइन, प्रोटोकॉल, फोकस टेस्टिंग, टीकाकरण, सर्विलांस, सैनिटाइजेशन का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में 100 बेड वाले पीकू नीकू और सीएचसी और पीएचसी में 50 नए बेड की व्यवस्था की गई है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने पहली दूसरी लहर के बाद भी तीसरी लहर के नए वैरिएंट को लेकर अस्पतालों में व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के समय से नए निर्देश जारी किए गए जिसके कारण बेहतर व्यवस्था होने से तीसरी लहर प्रदेश में कम प्रभावी रही।

छात्रों से लेकर कामगारों की सुविधाओं का रखा गया ख्याल

उन्होंने आगे कहा कि कोरोना काल के दौरान राज्य सरकार ने प्रदेश के श्रमिकों व कामगारों, ठेला, खोमचा, रेहड़ी लगाने वाले या दैनिक कार्य करने वाले सभी लोगों के भरण-पोषण की व्यवस्था को सुनिश्चित किया। इसके साथ ही निर्माण श्रमिकों को भी भरण-पोषण भत्ता देने का कार्य किया गया है। कोरोना महामारी के दौरान अप्रैल 2020 से जून 2020 तक कुल 12.15 लाख नए राशन कार्ड जारी किए।

प्रदेश सरकार ने कोटा, राजस्थान और प्रयागराज में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं को भी सुरक्षित व सकुशल उनके घर पहुंचाया। कम्युनिटी किचन के जरिए करोड़ों फूड पैकेट घर-घर जाकर बांटे गए। प्रदेश में लोगों को कोरोना से बचाव के लिए प्रशिक्षित आशा, आगंनबाड़ी कार्यकत्री, एएनएम को शामिल करते हुए सर्विलांस टीमों का गठन के साथ डिजिटल इंटरवेंशंस व मेरा कोविड केन्द्र एप्लीकेशन से कोरोना से लड़ने में काफी सहायता मिली। लॉकडाउन से लेकर अनलॉक प्रक्रिया तक सैनिटाइजेशन, कोविड प्रोटोकॉल, ग्रुप टेस्टिंग, कोल्ड चेन, हेल्पडेस्क, कांटेक्ट ट्रेसिंग, टीकाकरण के जरिए कोरोना को मात दी गई। आज दूसरे प्रदेशों के मुकाबले अधिक आबादी के बावजूद यूपी का बेहतर कोरोना प्रबंधन एक नजीर बना हुआ है।

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