उप्र : बीच में स्कूल छोड़ने वालों के ग्राफ में आयी कमी

- योगी सरकार के प्रयासों से माध्यमिक शिक्षा में गुणात्मक सुधार
- सत्र 2016-17 में ड्रापआउट दर थी 22.13 फीसद, 2021-22 में घटकर हुई 14.41 प्रतिशत
- अगले पांच सालों में ड्रापआउट दर में पांच फीसद और कमी लाने की सरकार की योजना
- विद्यार्थियों की नामांकन संख्या भी बढ़ी, पांच सालों में 15 प्रतिशत और बढ़ाने का लक्ष्य
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार कर रही योगी सरकार का असर माध्यमिक शिक्षा में सकारात्मक बदलाव के रूप में दिखने लगा है। बीच में पढ़ाई छोड़ने वालों की संख्या में गिरावट आयी है। सत्र 2016-17 में स्कूल से ड्रापआउट करने वालों की संख्या 22.13 फीसद थी, जो बीते पांच सालों में आठ प्रतिशत गिरकर 14.41 फीसद तक पहुंच गयी है। बीच में पढ़ाई छोड़ने के ग्राफ में गिरावट से इंटर तक की शिक्षा ग्रहण वाले विद्यार्थियों की संख्या में इजाफा हुआ है। सरकार ने अगले पांच साल में ड्रापआउट के परसेंटेज को पांच फीसद और कम करने की कार्ययोजना तैयार की है।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने शनिवार को बताया कि माध्यमिक विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं में सुधार और बड़े पैमाने पर शिक्षकों के रिक्त पद भरे जाने के बाद शैक्षणिक माहौल बेहतर हुआ है। इसी का प्रभाव है कि रिटेंशन और ट्रांजीशन दर में लगातार इजाफा हुआ है। माध्यमिक विद्यालयों में नामांकन दर भी पांच सालों में काफी बेहतर हुई है।
प्रवक्ता ने बताया कि सत्र 2016-17 में रजिस्ट्रेशन करने वालों की संख्या 94 लाख 92 हजार थी, जो शैक्षणिक सत्र 2020-21 में बढ़कर एक करोड़ 27 लाख तक पहुंच गयी। उन्होंने बताया कि सरकार अगले पांच सालों में माध्यमिक विद्यालयों में नामांकन करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में 15 प्रतिशत तक और वृद्धि करने की कार्य योजना तैयार की है।
इसी कड़ी में रिटेंशन दर भी 52.04 प्रतिशत से 57.05 फीसद पहुंच गयी। बीते पांच सालों में ट्रांजीशन दर भी 75.26 से बढ़कर 87.05 प्रतिशत तक पहुंच गयी है। अगले पांच साल की कार्ययोजना के मुताबिक योगी सरकार ट्रांजीशन दर में सात और रिटेंशन दर में पांच प्रतिशत की बढोतरी करने का लक्ष्य तय किया है।
माध्यमिक विद्यालयों में बढ़ीं अवस्थापना सुविधाएं
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में अवस्थापना सुविधा में काफी सुधार किया है। इस दौरान बालिका शौचालय के निर्माण के साथ ही सुरक्षित पेयजल की सुविधा में बढ़ोतरी की गयी है। माध्यमिक विद्यालयों में सत्र 2017-18 में 94 लाख 3 हजार बालिका शौचालय बने थे। सत्र 2020-21 में यह संख्या बढ़कर 97 लाख 36 हजार तक पहुंच गयी। माध्यमिक विद्यालयों में बिजली कनेक्शन सत्र 2017-18 में 69.05 प्रतिशत थे। बीते पांच सालों में 72.8 फीसद माध्यमिक विद्यालय बिजली कनेक्शन से जोड़े गये।