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खामोशी से विकास, सुशासन और स्थिरता के लिए मतदाताओं ने किया वोट

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जोरदार जीत के साथ भाजपा ने 1985 के बाद सत्ता में वापसी करने वाली पहली पार्टी बनकर एक तरह का इतिहास रच दिया है. परिणामों का विश्लेषण विभिन्न दृष्टिकोणों से किया जा सकता है, लेकिन आइए नजर डालते हैं इन चुनावों से उभरी बड़ी तस्वीर पर. ये चुनाव भाजपा और सपा के बीच मुकाबले में बदल गया था. ऐसे में भाजपा की जीत और महत्वपूर्ण हो जाती है.

चुनाव प्रचार के दौरान, प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों ने कभी-कभी ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया जिसे सभ्य नहीं कहा जा सकता: जैसे ‘गर्मी उतार देंगे’, ‘चर्बी चढ़ गई है’, ‘ठंडा कर देंगे’, ‘अब्बाजन’, ‘बुलडोजर बाबा’, आदि. लेकिन मतदाताओं ने इनसे प्रभावित न होकर अपनी परिपक्वता दिखाई और सरकार के प्रदर्शन के आधार पर मतदान किया.

डबल इंजन सरकार का फायदा

भाजपा मतदाताओं को ‘डबल इंजन’ सरकार के फायदे समझाने में सफल रही. हाइवे, मेट्रो, एयरपोर्ट, डिफेंस कॉरिडोर जैसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट मतदाताओं को गिनाए गए. वोटरों को उम्मीद है कि आने वाले सालों में उन्हें कई फायदे मिलेंगे. राज्य सरकार द्वारा कल्याण और विकास की केंद्रीय योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन केंद्र और राज्य सरकारों के बीच अच्छी तालमेल का प्रमाण था. वोटरों को पूरी उम्मीद है कि भविष्य में भी इस डबल इंजन सरकार से उन्हें काफी फायदा मिलेगा.

मुफ्त चीजों के वादे वोटरों को नहीं लुभा पाए

मतदाताओं ने मुफ्त बिजली, बेरोजगारी भत्ता आदि के वादों को सिरे से नकार दिया, जिनका वादा विपक्षी दलों ने किया था. बल्कि उन्होंने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बिना किसी भेदभाव के बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए योगी सरकार की सराहना की.

अपराधियों के खिलाफ योगी का अभियान मतदाताओं को भाया

अपराधियों और माफियाओं के खिलाफ योगी सरकार के अभियान और उनकी अवैध संपत्तियों को नष्ट करने या उन्हें अपने कब्जे में लेने के कदम की मतदाताओं ने सराहना की. सपा ने ‘बुलडोजर बाबा’ कहकर योगी को मजाक उड़ाया, लेकिन ऐसा लगता है कि इसने योगी की छवि को और मजबूत किया. योगी को एक सख्त प्रशासक और अपराधियों के खिलाफ उनके कड़े रुख के लिए जाना जाता है.

महिलाओं ने बड़ी तादाद में योगी को दिया वोट

लोगों की सुरक्षा, खासतौर से महिलाओं की सुरक्षा, भाजपा की जीत में एक बड़ा कारण बनी. महिला मतदाताओं ने जाति और समुदाय विभाजन को न देखते हुए सत्ताधारी दल के पक्ष में मतदान किया. मोदी ने इसके लिए उनको धन्यवाद भी दिया. उन्होंने कहा यूपी की इस जीत में महिलाएं सारथी बनीं. वहीं प्रियंका गांधी इन महिला मतदाताओं को रिझाने में नाकामयाब रहीं.

लाभार्थियों के वोट का फायदा

भाजपा कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों का एक अलग और बड़ा आधार बनाने में भी कामयाब रही, जिसने जात-पात के मुद्दे को बेअसर कर दिया, जिस पर विपक्ष खेल रहा था. इससे यह भी साबित हुआ कि कल्याणकारी योजनाओं के साथ विकास जीत की एक अच्छी रणनीति है, खासकर यूपी जैसे गरीब राज्य में.

वोटों को प्रभावित करने में विफल रहा किसान आंदोलन

इस चुनाव के परिणाम राकेश सिंह टिकैत जैसे बहुचर्चित किसान नेताओं के लिए एक बड़ा झटका साबित हुए. किसानों के आंदोलन और मुसलमानों और जाटों के सपा के पक्ष में हाथ मिलाने की उम्मीद भी सपा को चुनावी सफलता नहीं दिला पाई. लखीमपुर जिले में भी बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की. इससे पता चलता है कि किसान आंदोलन काफी हद तक अपेक्षाकृत बड़े और समृद्ध किसानों द्वारा किया गया था.

सीमांत और छोटे किसान, जो यूपी के कुल किसानों का 90% से ज्यादा का हिस्सा रखते हैं, मोदी सरकार की ‘किसान सम्मान निधि’ और राज्य सरकार द्वारा किए गए अन्य उपायों से काफी खुश नजर आए. उन्होंने पीएम मोदी पर भरोसा जताया. अखिलेश सरकार के बिल्कुल उलट मुख्यमंत्री योगी और उनकी सरकार की किसी भी बड़े घोटाले या भ्रष्टाचार से न जुड़े होने की ईमानदार छवि ने भी मतदाताओं को प्रभावित किया.

अब मतदाताओं की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी

यूपी विधानसभा चुनावों में भाजपा की शानदार जीत को सुशासन, सुरक्षा और स्थिरता के साथ विकास की जीत कहा जा सकता है. यह निवेशकों, उद्योगपतियों और उद्यमियों को सरकार की नीतियों के बारे में भी आश्वस्त करेगा जिससे राज्य में ज्यादा निवेश और विकास को बढ़ावा मिल सके. लोगों ने अपना काम कर दिया है अब नई सरकार की बारी है कि वह उनकी उम्मीदों पर खरा उतरे और अपने संकल्प पत्र (घोषणापत्र) के सभी वादों को पूरा करे.

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