उत्तर प्रदेशलखनऊ

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का हुनर देख भौंचक हुए लोग, पेंच लड़ाते हुए पांच पतंगें काटीं

  • शहर में पतंग का शौक बरकरार है, क्या बच्चे, क्या युवा और बुजुर्ग

लखनऊ। चाहे टीवी हो या फिर मोबाइल आ गया हो लेकिन शहर-ए-लखनऊ में पंतगबाजी का शौक फीका नहीं पड़ने वाला है। दीपावाली के दूसरे दिन जमघट आते ही ये पुराने शौक अपने चरम पर पहुंच जाता है। क्या बच्चे, बुजुर्ग या कोई उच्च पद पर बैठा शख्स ही क्यों न हों। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने मंगलवार को गोमती तट के छठ घाट पर पंतग उड़ाया और पत्नी ने चरखी दिखाई। इसके साथ उन्होंने जमघट शुरुआत भी कर दी। देखने वालों का बड़ा मजा आया।

उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक की पत्नी अमृता पाठक ने चरखी दिखाई और पाठक जी ने हत्थे से डोर में ठुनकी देना शुरू किया तो धारे-धीरे पतंग हवा में उड़ने लगी। उनके साथ से कुछ सहयोगी भी दे। तट का नजार देखने वाला था। दीवाली पर उपमुख्यमंत्री पुराना शौक याद आ गया। चरखी, मांझा, रील लेकर पहुंच गए गोमती तट परं। यहां भी उनका साथ धर्मपत्नी अमृता पाठक ने दिया। पहले उपमुख्यमंत्री पतंग में काने बांध, फिर किसी ने छुडैया दी और पतंग हवा में हिलोरे लेने लगी। इधर पत्नी जी चरखी दिखा रही थी। साथ के लोग देख रहे थे।

पंतग की दुकानें शहर के पुराने इलाके हुसैनगंज, चौक, अमीनाबाद, डालीगंज सहित अन्य इलाकों में तो कई हैं, लेकिन निशातगंज, इंदिरा नगर, गोमती नगर सहित नए इलाकों में एक भी नहीं हैं। पतंगें छोटे, बीच के और बड़े साइज में आती है, जिनके दाम भी उसी हिसाब से है। हुसैनगंज में पंतग के दुकानदार हाजी सुबराती बताते हैं कि यह 70 साल पुरानी दुकान है। पहले पिता जी बैठते थे, 45 साल से हम ही बैठ रहे हैं। पंतगों के नाम वही पुराने हैं। लट्ठेदार मागदार, तौफा, पूछदार सहित बहुत सी हैं। पंतगों बनाने काम बरेली में होता हैं। वहीं से रील और मांझा भी आता है।

एक दूसरे दुकानदार नीलेश ने बताया कि पंतगों के दाम तो महंगे हुए हैं, लेकिन लोगों का शौक कम नहीं हुआ है। करवा चौथ के पास से शुरू होकर यह मकर संक्रांति तक इस शहर में पतंग उड़ती है। उन्होंने बताया कि पंतगें उड़ाना जिनका शौक है, वह उड़ाते हैं। इसमें बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी शामिल हैं। एक अन्य दुकानदार सलीम भी बताते हैं कि यह 75 साल पुरानी दुकान हैं। पंतग के शौक में कोई कमी नहीं आई है।

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