उत्तर प्रदेशलखनऊ

रामलला के दर्शनार्थी पूरब से और वीवीआईपी उत्तर दिशा से करेंगे प्रवेश

  • भगदड़ रोकने के लिए अलग-अलग होंगे प्रवेश व निकास द्वार

अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि में निर्माणाधीन मंदिर में भविष्य में होने वाली श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बीच अप्रिय स्थिति से बचने के लिए यातायात का सुदृढ़ प्रबंध की किया गया है। इस योजना के अंतर्गत दर्शन के प्रवेश व निकास मार्ग को अलग कर दिया गया है। राम मंदिर निर्माण के प्रभारी गोपाल राव का कहना है कि रामलला के दर्शनार्थी मुख्य मार्ग से सुग्रीव किला होकर पूर्वी द्वार से राम मंदिर में प्रवेश करेंगे। उन्होंने बताया कि उनके निकास की व्यवस्था दक्षिण व उत्तर में बने दोनों द्वार से होगी।

वह बताते हैं कि दक्षिणी द्वार से निकलने वाले दर्शनार्थियों के साथ-साथ उत्तरी द्वार से निकलने वाले यात्री भी दक्षिण दिशा में प्रस्तावित निकास द्वार से ही निकलेंगे। यह सभी दर्शनार्थी अंडरपास की तरह बनाए गये टनल से गुजरते हुए तीर्थयात्री सुविधा केंद्र होकर बाहर मुख्य मार्ग पर आएंगे। उन्होंने बताया कि अति विशिष्ट व्यक्तियों के आवागमन के लिए उत्तर दिशा में एक नया रास्ता बनाया जाएगा। यह रास्ता विश्वामित्र आश्रम से होकर परकोटे के उत्तर में प्रस्तावित देवी अन्नपूर्णा मंदिर से परिसर की ओर आएगा।

प्रवेश व निकास द्वार पर बनेगा रैंप

राम मंदिर निर्माण के प्रभारी राव बताते है कि राम मंदिर में 32 सीढ़ियां चढ़कर श्रद्धालु जन रामलला के दर्शन के लिए पहुंचेंगे। दिव्यांगों एवं वृद्ध व अशक्त जनों के लिए प्रवेश व निकास द्वार पर रैंप की व्यवस्था की जाएगी। इस रैंप पर व्हील चेयर के सहारे श्रद्धालु रामलला का दर्शन पा सकेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्य मंदिर का द्वार ही सिंहद्वार कहलाएगा, जिसकी ऊंचाई 20 फिट होगी और मोटाई छह फिट होगी। उन्होंने बताया कि परकोटे का प्रवेश द्वार अलग होगा।मंदिर में निर्धारित डिजाइन के अनुसार चार व ढाई फिट के भी अलग-अलग स्तम्भ होंगे।

बनाया जाएगा दस बेड का अस्पताल

राम मंदिर के प्रभारी राव के अनुसार सुरक्षा के कारणों से यात्री सुविधा केंद्र में कोई गेस्ट हाउस नहीं रहेगा। यहां थके-हारे यात्रियों के विश्राम के लिए आरामदेह कुर्सियां व बेंच रहेंगी। यहां बाथरूम एवं टायलेट इंडियन व यूरोपियन दोनों प्रकार की होंगी। फिर में भी स्नानागार नहीं रहेगा। उन्होंने बताया कि यहां दस बेड का एक अस्पताल रहेगा जिसमें आकस्मिक अवस्था के लिए चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ के साथ मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। इसके अलावा एम्बुलेंस भी उपलब्ध होगी। अस्पताल में आयुर्वेदिक व प्राकृतिक चिकित्सा की दृष्टि से भी विशेषज्ञ होंगे।

परकोटे का क्षेत्रफल बढ़कर दस एकड़ हो गया

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के मुख्य अभियंता व संघ के वरिष्ठ प्रचारक जगदीश आफले ने बताया कि परकोटे का कुल क्षेत्रफल दस एकड़ है। दक्षिण भारतीय शैली के मंदिरों में प्रधान देवता के मंदिर के चतुर्दिक बहुउद्देश्यीय बाउंड्री बनाई जाती है। इस परकोटे में छह मंदिरों के अतिरिक्त तीर्थ क्षेत्र का कार्यालय भी रहेगा। उधर तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि परकोटे के चार कोनों पर भगवान सूर्य, देवी भगवती, गणपति व भगवान शिव के मध्य में उत्तर दिशा में देवी अन्नपूर्णा व दक्षिण में हनुमानजी का मंदिर होगा। इसी तरह मंदिर से दक्षिण कुबेर टीला के निकट आठ अन्य मंदिर बनेंगे। इन मंदिरों/आश्रमों में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, गोस्वामी तुलसीदास, माता शबरी, निषादराज व जटायुराज का स्थान सुनिश्चित किया गया है।

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