राज बिसरिया की नाट्य विधा से लोगों को परिचित कराने में बड़ी भूमिका रहीः एससी वर्मा
- बीएनए में पत्रिका ‘कला वसुधा के पद्मश्री राज बिसारिया के विशेषांक का हुआ विमोचन
लखनऊ। वरिष्ठ रंगकर्मी राज बिसारिया की नाट्य विधा से आम लोगों को परिचित कराने की भूमिका रही। हम उनके प्रशंसक हैं। यह बात मुख्य अतिथि पूर्व न्यायमूर्ति एससी वर्मा ने गुरुवार को सांस्कृतिक पत्रिका ‘कला वसुधा‘ के पद्मश्री राज बिसारियां के विशेषांक के विमोचन अवसर पर कही। विमोचन कार्यक्रम लखनऊ के गोमती नगर स्थित भारतेंदु नाट्य अकादमी के थ्रस्ट थिएटर में हुआ। इस अवसर पर खुद राज बिसारिया भी मौजूद रहे।
राज बिसारिया ने कहा कि भारतेंदु नाट्य अकादमी को स्थापित कराने के पीछे यह उद्देश्य था कि आम लोग मंच के माध्यम जीवन मूल्यों को सीख सके। कार्यक्रम का आयोजन निसर्ग सृजन नाट्यकुलम संस्था की ओर से हुआ। इस अवसर पर पत्रिका की प्रधान संपादक शाखा बंधोपध्याय व संपादक डॉ ऊषा बनर्जी हैं। इस अवसर पर कई नाट्य प्रेमी व बीएनए के निदेशक प्रो दिनेश खन्ना भी मौजूद थे।
इस अवसर पर बीएनए के पूर्व निदेशक सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ ने कहा कि राज बिसारिया साहब का दृष्टिकोण और यात्रा अद्भुत रही है। अभिनेता राकेश श्रीवास्तव ने राज बिसारिया से जुड़ी बीएनए की यादें बताई।
वरिष्ठ रंगकर्मी आतमजीत सिंह ने कहा कि नौटंकी से मेरा ताल्लुक है। नौटंकी की विभिन्न शैलियों पर राज बिसारिया के समय आयोजन हुआ था। राज साहब को अंग्रेजी का नाटककार कहा जाता था लेकिन हिंदी में अंधा युग और सावित्री जैसे नाटक भी उन्होंने किये हैं। वरिष्ठ रंगकर्मी व अभिनेता डॉ अनिल रस्तोगी ने राज साहब के साथ आगे एक और नाटक करने की इच्छा जताई।
डॉ मीनाक्षी ने कहा कि रंगमंच में अनुशासन और अदब राज साहब से सीखने को मिला। बीएनए निदेशक दिनेश खन्ना ने कहा मेरे अलावा कई लोगों का जीवन बनाने में राज साहब का योगदान रहा है। वरिष्ठ रंगकर्मी व ‘निसंर्ग‘ संस्था के संस्थापक ललित सिंह पोखरियाल ने कहा कि मैंने बिसारिया सर से जीवन का मूल्य सीखा।
उनके व्यक्तित्व को दूसरों के सामने लाना मेरा स्वार्स्थ भी था। जिससे कि लोग भी उनके जीवन से सीख सके। इससे पहले पत्रिका की संपादक डॉ ऊषा बनजी ने आए अतिथियों को स्वागत किया। अंत में शाखा बंधोपध्याय ने अतिथियों का आभार जताया।