लघुचित्र भारतीय शास्त्रीय परम्परा की अमूल्य धरोहर हैः मो. शकील

- विश्व धरोहर दिवस पर राज्य संग्रहालय में लगी प्रदर्शनी
लखनऊ। विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर मंगलवार को लखनऊ स्थित राज्य संग्रहालय में संग्रहित महत्वपूर्ण कलाकृतियों पर आधारित ’कला दर्शन’ विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी का उद्घाटन राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित वरिष्ठ चित्रकार मो. शकील ने किया।
मुख्य अतिथि ने इस अवसर पर कहा कि लघुचित्र भारतीय शास्त्रीय परंपरा की अमूल्य धरोहर है। इससे बड़ी धरोहर दुनिया में क्या हो सकती है। इसको जो संभालकर रखने वाले हैं,वो अनूठा इतिहास रचते हैं। ऐसी धरोहरें हमारी सभ्यता का प्रतीक हैं। संग्रहालय में हमें आज भी देखने को मिल जाती है। भारत देश हमेशा विश्व गुरु रहा है, इन्हीं धरोहरों की वजह से हमेशा विश्वगुरु रहेगा। प्रदर्शनी में समुद्र मंथन, भगीरथ द्वारा शिव स्तुति, राम एवं हनुमान द्वारा उमा-महेश्वर की स्तुति, शेषशायी विष्णु वामनावतार, नृसिंह अवतार बलराम द्वारा यमुनाकर्षण, हरिहर आदि दृष्टव्य हैं।
प्रदर्शनी का अवलोकन करने पर सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है कि कलाकृतियां अपनी शैलीगत विशिष्टता को समाहित किए हुए तत्कालीन सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक स्थिति को दर्शाती है। प्रदर्शित चित्र आम जनमानस को भारतीय धर्म एवं संस्कृति के गूढ़ तत्व ज्ञान का भी बोध कराती हैं। प्रदर्शित कलाकृतियों के माध्यम से दर्शकों को राज्य संग्रहालय, लखनऊ में संग्रहीत ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराने का प्रयास किया गया है।
प्रदर्शनी के आयोजन में सहायक निदेशक अल शाज फातमी, संग्रहालयाध्यक्ष डॉ तृप्ति राय, डॉ अनिता चौरसिया, शशिकला राय, शालिनी श्रीवास्तव, गायत्री गुप्ता सहित अन्य लोग उपस्थित थे। मानव सभ्यता से जुड़ी धरोहरों को जन सामान्य के मध्य जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य धरोहर एवं संस्कृति को संरक्षित करना और नई पीढ़ी को अपनी गौरवमयी धरोहर से परिचित कराने के साथ ही उसे संरक्षित करने के लिए प्रोत्साहित करना भी है। धरोहर गौरवशाली इतिहास के अस्तित्व का जीवन्त प्रमाण है और वर्तमान में अतीत की साक्षात हस्ताक्षर है।