सीता जी के विवाह में मधुबनी कला से की गई थी चित्रकारीः अवधेश कुमार
लखनऊ। लोक कथाओं के अनुसार सीता जी की शादी में मधुबनी चित्रकला कला का प्रयोग सजावट के लिए किया गया था। शादी में वर पक्ष के घर से जो सिंदूर का पांच पुड़िया जाता है और वधु पक्ष के घर में कोहबर और नैना जोगिन बनाया जाता है। मधुबनी चित्रकला से सम्बंधित ये बातें वरिष्ठ चित्रकार अबधेश कुमार कर्ण ने सोमवार को मधुबनी पेंटिंग पर आयोजित व्याख्यान एवं कार्यशाला में कही। तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन लखनऊ के टैगोर मार्ग स्थित वास्तुकला एवं योजना संकाय में किया जा रहा है।
मधुबनी बिहार से आए चित्रकार श्री कर्ण वर्तमान में नई दिल्ली में रहते हुए मिथिला लोकचित्रों की शैली में विशेष योगदान दे रहे हैं। कार्यशाला के प्रथम दिन मिथिला कला पर विस्तार में चित्रों को दिखाते हुए अबधेश कुमार कर्ण ने व्याख्यान दिया। उसके बाद छात्रों ने मिथिला पेंटिंग की बारीकियां सीखी।
मिथिला चित्रों के शैली पर चर्चा करते हुए श्री कर्ण ने उसकी चार शैलियों को बताया। ये चार शैलियां भरनी, कछनी, तांत्रिक और गोदना है। भरनी, रेखांकन करने बाद उसमे रंग भरने कि परम्परा को कहते हैं, कछनी में बाहरी रेखांकन करने के बाद अलग- अलग काले रंग के रेखांकन से भरने को कहते हैं। गोदना में मानव के शरीर पर रेखांकन की कला है, जो अब कागज पर किया जाने लगा है उसके बाद तांत्रिक में दशावतार,भद्रकाली ,भगवती के अलग अलग रूपों को बनाया जाता है, इस शैली में अर्धनारीश्वर भी अधिक संख्या में बनाया जाता है।
चित्रकार अबधेश कुमार कर्ण ने व्याख्यान में बताया कि मिथिला चित्रकला वर्षों से बनाई जा रही है। लोक कथाओं के अनुसार सीता जी की शादी में इस कला का प्रयोग सजावट के लिए किया गया था। श्री कर्ण ने बताया कि मिथिला चित्रकला आज कल मधुबनी चित्रकला के नाम से ज्यादा प्रचलित है। इस कला में प्राकृतिक रंग का उपयोग होता था। अब रासायनिक रंगों का प्रयोग भी किया जा रहा है। इस कला का विषय रामायण, कृष्ण लीला और समसामयिक विषय पर आधारित होता है।
भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि मिथिला चित्रकार अबधेश कुमार कर्ण एक पूर्णकालिक पेशेवर मिथिला चित्रकला कलाकार हैं। मूल निवासी मधुबनी, बिहार, के हैं। अबधेश इस कला से बचपन से जुड़े हुए हैं । यह कला इनकी कई पीढ़ियों से होता आ रहा है। श्री कर्ण को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। इस अवसर पर संकाय के विभागाध्यक्ष राजीव कक्कड़, मोहम्मद सबहात, कला शिक्षक गिरीश पांडे, धीरज यादव, भूपेंद्र कुमार अस्थाना एवं रत्नप्रिया कान्त सहित वास्तुकला के छात्र उपस्थित रहे।