‘आधे अधूरे’ में दिखा उलझते रिश्तों के बीच सामंजस्य
- गोमतीनगर स्थित भारतेन्दु नाट्य अकादमी के बी.एम.शाह प्रेक्षागृह में तीन दिवसीय नाट्य समारोह शुरू
लखनऊ। मशहूर नाट्य लेखक मोहन राकेश का प्रसिद्ध नाटक ‘आधे-अधूरे’’ में मध्य वर्गीय परिवार के उलझते रिश्तों के बीच सामंजस्य को बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया। कशिश आर्टस् एंड वेलफेयर सोसाइटी की ओर से तीन दिवसीय नाट्य समारोह सोमवार को गोमतीनगर स्थित भारतेन्दु नाट्य अकादमी के बी.एम.शाह प्रेक्षागृह में शुरू हुआ। नाटक का निर्देशन रत्ना अग्रवाल ने किया। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से मंचित हुई इस प्रस्तुति में मध्यम वर्गीय परिवार के उलझते रिश्तों के साथ-साथ समाज में स्त्री-पुरुष के बीच बदलते परिवेश और एक-दूसरे से अपेक्षाओं को पेश किया गया।
कथानक के केन्द्र में महेन्द्रनाथ है जो बहुत समय से व्यापार में असफल होकर घर पर बेकार बैठे है । वहीं उसकी पत्नी सावित्री नौकरी करके घर चलाती है। उन दोनों की कलह का प्रभाव उनके बच्चों पर भी पड़ता है। पूरा परिवार बिखर जाता है। नाटक आपसी सामंजस्य के साथ रिश्तों को निभाने का संदेश कुशलता के साथ देता है।
मंच पर सावित्री की भूमिका में रत्ना अग्रवाल, महेन्द्रनाथ, सिंघानिया, जगमोहन, जुनेजा इन चारों की भूमिका में अमरीश आर्यन, बिन्नी की भूमिका में साक्षी मूल चन्दानी, किन्नी की भूमिका में संजना दुबे और अशोक की भूमिका में अक्षयदीन गौड़ ने बेहतरीन अभिनय किया। शहीर अहमद ने मुख सज्जा, तमाल बोस ने प्रकाश परिकल्पना, स्वपनिल अग्रवाल ने संगीत दिया। सेट निर्माण का दायित्व आशुतोष विश्वकर्मा ने संभाला। तीन दिवसीय नाट्य समारोह में मंगलवार को नाटक खुदा खैर करे नाटक का मंचन होगा।