जन्म से ही लड़कियां अधिकांश परिवार में ही होतीं है भेदभाव का शिकारः डॉ मंदाकिनी राय

- अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति ने यूपी प्रेस क्लब में की गोष्ठी
लखनऊ। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की ओर से आज यानि शुक्रवार को यूपी प्रेस क्लब में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय ‘महिलाओं की समानता: एक सपना या हकीकत’ था। गोष्ठी की मुख्य वक्ता के रूप में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मंदाकिनी राय ने कहा कि महिलाओं कि हमारे संविधान ने हमें बराबरी का हक़ दिया है और निश्चित रूप में हम कुछ सीमा तक अंधेरे युग से बाहर भी आए हैं किन्तु आज भी महिलाओं और लड़कियों का शोषण नये रूप में हमारे सामने हैं। जन्म लेने के बाद लड़कियां अधिकांश परिवार में ही भेदभाव का शिकार होतीं हैं और फिर बाजार की ताकतों ने लड़कियों को उपभोग की ‘वस्तु‘ बना दिया है, जिसके कारण उनके खिलाफ यौन हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई है।
एडवा की मधु गर्ग ने कहा कि समाज में जब तक सभी वर्गों की लड़कियों और महिलाओं को समान अवसर नहीं मिलेंगे तब तक समानता सही मायने में एक ख्वाब ही रहेगी। यह समानता केवल सामाजिक ही नहीं बल्कि राजनीतिक भागीदारी में भी दिखनी चाहिए। उन्होंने संसद और विधानसभाओं में महिलाओं की स्थिति पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि आज 30 साल बाद भी महिला आरक्षण बिल ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ता नाइश हसन ने कहा कि मुस्लिम लड़कियों को उच्च शिक्षा न मिलना एक चुनौती है। मौलाना आजाद फेलोशिप खत्म करना इसी दिशा में एक कदम है। सबका साथ सबका विकास एक खोखला नारा है।
सामाजिक कार्यकर्ता गुरुजीत कौर ने कहा कि जिंदगी की हकीकत को समझने की बहुत जरूरत है। बच्चियों को दिल से नहीं दिमाग से काम लेना चाहिए नहीं तो अक्सर वे भ्रमित हो जाती हैं। इससे पहले वंदना राय ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए ‘एडवा‘ द्वारा लड़कियों के बीच आयोजित कार्यक्रमों का विवरण दिया। चिनहट से आईं दो बच्चियों ने अपने संघर्षों की बेहद प्रेरणादायक कहानी सुनाई। सानिया जिसने अपने पिता की घरेलू हिंसा के खिलाफ पुलिस में शिकायत की और संजना जिसने अपनी बस्ती में हो रहे बाल विवाह को रुकवाया।
कार्यक्रम में विभिन्न बस्तियों और स्कूलों से आई लड़कियों को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर मिनी मैराथन, पासिंग पास, पोस्टर मेकिंग, स्लोगन लेखन, निबंध प्रतियोगिता के लिए 31 लड़कियों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में 10 बस्तियों और चार विद्यालयों की 100 से ज्यादा लड़कियों की भागीदारी रही। संगोष्ठी का संचालन प्रियांशी अग्रवाल ने किया।