उत्तर प्रदेशलखनऊ

प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोले विशेषज्ञ – बच्चे के जीवन के शुरुआती 42 दिन बेहद महत्वपूर्ण

लखनऊ। किसी भी नवजात के जीवन के शुरुआती 42 दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, इस दौरान उसकी विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इस अवधि में खतरों के लक्षणों  की पहचान कर समय से चिकित्सीय जांच और इलाज कराकर किसी भी अनहोनी से बचा जा सकता है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने गृह आधारित नवजात देखभाल कार्यक्रम (एचबीएनसी) चलाया जा रहा है।

यह बात स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रशिक्षण केंद्र के प्रधानाचार्य डा. अजीत कुमार गुप्ता ने गुरुवार को इंदिरा नगर स्थित प्रशिक्षण केंद्र में बाल स्वास्थ्य पर आधारित 15 दिवसीय मंडलीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर कहीं।

उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी) और होम बेस्ड केयर फॉर यंग चाइल्ड (एचबीवाईसी) यानि गृह आधारित छोटे बच्चों की देखभाल कार्यक्रम पर जानकारी देने के साथ  ही घरेलू हिंसा पर भी जानकारी दी गई।

प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद यह प्रशिक्षक अपने-अपने जिलों में आशा कार्यकर्ताओं को नवजात और बच्चों की देखभाल,पोषण और घरेलू हिंसा रोकने के लिए प्रशिक्षण देंगे।

कोर्स संचालक डा. गिरिजेश नंदिनी ने बताया कि एचबीएनसी के तहत आशा कार्यकर्ता बच्चे के जन्म के बाद 42 दिन के भीतर छह सात बार संबंधित घर का भ्रमण करती हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सभी नवजात को अनिवार्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है। समय पूर्व पैदा होने वाले और जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों की शीघ्र पहचान कर उनकी देखभाल करना भी है।

उन्होंने बताया कि नवजात की बीमारी का शीघ्र पता लगाकर समुचित देखभाल, इलाज की जरूरत होने पर रेफर करना, परिवार को आदर्श व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित एवं सहयोग करना, माँ के अंदर अपने नवजात के स्वास्थ्य की सुरक्षा करने का आत्मविश्वास वा दक्षता का विकास करना है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सिखाया जाता है।

उन्होंने बताया कि एचबीएनसी कार्यक्रम का विस्तार करते हुए तीन से 15 माह के बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण को बढ़ावा देने, बाल रुग्णता और मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और पोषण अभियान के एक हिस्से के रूप में साल 2018 में एचबीवाईसी कार्यक्रम शुरू किया गया था। इसके तहत आशा कार्यकर्ता बच्चे के जन्म से लेकर 15वें महीने तक कुल पाँच गृह भ्रमण करती हैं |

15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में लखनऊ मण्डल के चिकित्सा अधिकारियों, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारियों तथा गैर सरकारी संगठन के सदस्यों को प्रशिक्षण दिया गया।

आशा कार्यकर्ता को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 21 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। प्रशिक्षण केंद्र  के प्रधानाचार्य ने सभी को प्रमाणपत्र प्रदान किये। इस मौके पर डा. जीएस सिंह,  प्रशिक्षक डा. एस.के. सक्सेना, अनीता पांडे, विनय व पवन कुमार मौजूद रहे |

गृह भ्रमण के दौरान आशा के कार्य 

1- बच्चे की माँ और परिवार के सदस्यों को छह माह तक केवल स्तनपान कराने की जानकारी देना

2- छह माह के बाद स्तनपान के साथ ऊपरी आहार शुरू करने की सलाह देना और इसे सुनिश्चित भी कराना।

3- माँ को संतुलित एवं पौष्टिक आहार का सेवन करने की सलाह देना, बच्चे में स्वास्थ्य और पोषण संबंधी समस्याओं को पहचानना तथा इन समस्याओं का प्रबंधन करने में सहायता करना।

4- मातृत्व एवं शिशु सुरक्षा (एमसीपी) कार्ड का उपयोग करके बच्चों की वृद्धि और विकास में देरी की शीघ्र पहचान की सुविधा ,बच्चे का समय से टीकाकरण करवाना।

5- आयरन फोलिक एसिड सिरप के  सेवन की सलाह देना, डायरिया के समय ओआरएस के सेवन करने की सलाह देना, माँ और परिवार के सदस्यों को साबुन और पानी से हाथ धोने की सलाह देना।

6- बचपन में होने वाली सामान्य बीमारियों की रोकथाम एवं प्रबंधन में सहायता करना।

7- जटिलताओं का प्रबंधन करना एवं आगे के इलाज के लिए उच्च स्वास्थ्य केंद्र रेफ़र करना।इसके साथ ही आशा कार्यकर्ता इसकी भी निगरानी करती हैं कि आयु के अनुसार बच्चा खेल रहा है और उसका अन्य के साथ संचार उपयुक्त है।

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