उपभोक्ताओं की बात विडियो कांफ्रेंसिंग से सुनेगा विद्युत नियामक आयोग
- बिजली का बिल न बढ़ने के लिए लगातार दबाव बना रहा उपभोक्ता परिषद
लखनऊ। विद्युत नियामक आयोग अब वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सार्वजनिक सुनवाई शुरू करने जा रहा है। इसके लिए विधिवत तिथि की भी घोषणा कर दी गयी है। उपभोक्ता परिषद भी बिजली का बिल न बढ़ने के लिए इस सुनवाई में अपनी बात रखने के लिए अभी से तैयारी में जुट गया है। प्रथम चरण में 21 जून को दक्षिणांचल, पश्चिमांचल और केस्को की सुनवाई 11 बजे से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होगी। उसके बाद 22 जून को मध्यांचल पूर्वांचल की सुनवाई होगी। नोएडा पावर कंपनी की सुनवाई 24 जून को 11 बजे से और उसी दिन उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लिमिटेड की सुनवाई भी तीन बजे से होना तय किया गया है।
इसके संबंध में विद्युत नियामक आयोग की तरफ से पावर कारपोरेशन के चेयरमैन सहित सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को समस्त निर्देश जारी कर दिए गए हैं। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने भी बिजली दर की सुनवाई में पूरी ताकत से प्रदेश के तीन करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं का पक्ष रखने के लिए पूरी तैयारी पूरी कर ली है। इस बार उपभोक्ता परिषद बिजली दरों में कमी कराने के लिए पूरी ताकत से लड़ेगा। यह बता दें कि इस बार वर्ष 2022-23 की जो वार्षिक राजस्व आवश्यकता है। वह लगभग 84526 करोड़ है। बिजली कंपनियों द्वारा जो गैप दिखाया गया है। वह लगभग 6762 करोड है। बिजली कंपनियों द्वारा कुल विद्युत वितरण हानियां 17.5 प्रतिशत प्रस्तावित किया गया है।
वही बिजली कंपनियों द्वारा कुल बिजली खरीद लगभग 126526 मिलियन यूनिट बताई गई है। वही डिस्कॉम छोर पर 120833 मिलियन यूनिट प्रस्तावित किया गया है। बिजली खरीद की कुल लागत लगभग 64294 करोड़ प्रस्तावित किया गया है। सरकार द्वारा घोषित राजस्व सब्सिडी लगभग 14500 करोड़ बताई गई है और आवश्यक विद्युत आपूर्ति की लागत रुपया 8. 43 प्रति यूनिट प्रस्तावित किया गया है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि इस बार बिजली कंपनियों ने कोई भी बिजली दर का प्रस्ताव दाखिल नहीं किया है।
ऐसे में उपभोक्ता परिषद द्वारा प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहे 22045 करोड़ रुपये के संबंध में विद्युत नियामक आयोग द्वारा 18 मई को पावर कारपोरेशन से दो सप्ताह में रिपोर्ट तलब की गई है, पर पूरी मुस्तैदी से विधिक साक्ष्य पक्ष नियामक आयोग के सामने रखेगा और प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी की पुरजोर वकालत करेगा, जहां तक सवाल है। बिजली कंपनियों द्वारा दाखिल स्लैब परिवर्तन का तो वह विद्युत नियामक आयोग द्वारा पिछले 2 वर्षों से लगातार खारिज किया जा रहा है। ऐसे में इस वर्ष भी बिजली कंपनियों के स्लैब परिवर्तन को खारिज होना तय है।