वाराणसी: सूर्य ग्रहण के मोक्षकाल में गंगा स्नान के लिए उमड़ा जनसैलाब
- गंगा घाटों पर अंधेरे में भी लोग लगाते रहे आस्था की डुबकी, घाटों पर जल पुलिस और एनडीआरएफ का दस्ता मुस्तैद
वाराणसी। धर्म नगरी काशी में मंगलवार शाम सूर्यग्रहण के मोक्षकाल में गंगा में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। लोगों ने गंगा में स्नान के बाद भगवान सूर्य के मोक्ष की कामना कर दानपुण्य भी किया। ग्रहण स्नानार्थियों के चलते दशाश्वमेध, राजेन्द्रप्रसाद, पंचगंगा घाट स्थित प्रमुख घाटों पर मेले जैसा नजारा दिखा। हजारों श्रद्धालु ग्रहण का सूतक काल शुरू होने के साथ ही गंगा तट पर पहुंचने लगे। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया ग्रामीण अंचल के श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गई। ग्रहण काल से लेकर मोक्षकाल तक वृद्ध और युवा श्रद्धालु बिना खाये पीये गंगा तट पर भजन कीर्तन में लीन रहे। वहीं मठों, मंदिरों में संत और दंडी स्वामी जपतप करते रहे। हजारों श्रद्धालुओं ने ग्रहण के स्पर्शकाल, मध्य और मोक्षकाल तीन बार गंगा में आस्था की डुबकी लगाने के साथ भजन कीर्तन करते रहे। इस दौरान सैकड़ों श्रद्धालु पूरे ग्रहण काल तक गंगा में खड़े होकर मंत्रों का जाप कर भगवान सूर्य को मोक्ष दिलाने की कामना करते रहे। लोगों का मानना था कि ग्रहण के दौरान भजन कीर्तन से भगवान को शक्ति मिलती है। साथ ही ग्रहण के दुष्प्रभाव से भी बचाव होता है।
उल्लेखनीय है कि साल 2022 का आखिरी सूर्य ग्रहण देश के कुछ हिस्सों को छोड़कर वाराणसी सहित अन्य भागों में दिखाई दिया। ग्रहण का सूतक काल भोर में साढ़े चार बजे से शुरू हो गया था। काशी में ग्रहण का स्पर्शकाल शाम 4:23,मध्य काल शाम 5:28 बजे और मोक्षकाल शाम 6:25 बजे हुआ। ग्रहण काल के दौरान लोगों ने भोजन के बर्तन में कुश अथवा तुलसी डाल कर खाया। परिवार में बुर्जुग महिलाओं के साथ श्रद्धालु महिलाओं ने भोजन नहीं ग्रहण किया। श्रद्धालु लोगों ने ग्रहण की अवधि में तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, मल-मूत्र त्याग करना, सोना, केश विन्यास करना, रति क्रीड़ा आदि से भी परहेज किया। लोगों ने नंगी आंखों से सूर्य ग्रहण देखने से भी परहेज किया। छोटे बच्चों से लेकर युवाओं ने खगोलीय घटनाओं को देखने के लिए एक्सरे प्लेट का प्रयोग किया।