गंगा का प्रवाह रोकने से ही उसमें ऑक्सीजन की मात्रा घटी : रामाशीष

लखनऊ। गंगा का प्रवाह रोकने से ही उसमें ऑक्सीजन की मात्रा घटी है। इसीलिए गंगा में जलीय जीवों की मृत्यु हुई है। अधिकतर विद्वान यूरोपीय विचार से प्रभावित हैं इसलिये गंगा का महत्व नहीं समझते। इसका उदाहरण टेहरी का बांध बनाने में दिया गया अनापत्ति प्रमाण पत्र है। यह बातें गंगा समग्र के संगठन मंत्री रामाशीष ने लखनऊ में एक बैठक में कही।
उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार जलीय जीवों को जीवित रहने का मुख्य कारण जल में घुलित ऑक्सीजन होती है। केवल गंगा जी ही हैं जिनके प्रवाह में कल-कल की आवाज गूंजती है। जल प्रवाह के कलरव से ही जल में ऑक्सीजन घुलती है। नदियों पर बांध बनाने से जल का मुक्त प्रवाह रुक जाता है। अनियोजित शहरीकरण से नदियां दूषित हुई और सिमटती गयीं।
प्राचीन अवधारणा है कि नदियों के दोनों ओर 5 से 6 किलोमीटर तक अंतः प्रवाह होता है। जो अतिक्रमण के कारण समाप्त होते गये। नदियों के दूषित होने के चार मुख्य कारण हैं। पहला जनसंख्या वृद्धि, दूसरा अनियोजित विकास, तीसरा विकृत आस्था और चौथा अत्यधिक प्लास्टिक का उपयोग बढ़ना। रामाशीष ने कहा कि हर जल गंगा मान कर उसका संरक्षण करें। उसकी पवित्रता उसके जीवन से है। गंगा समग्र ने जल स्रोतों को जलतीर्थ घोषित करता है।
जल स्रोत को जीवित प्राणी का दर्जा दिया जाय। नदियों-तालाबों का सीमांकन करके भूलेख में पंजीकृत किया जाय। नदियों को पुनः पूर्ण प्रवाह में लाने के लिये विशेषज्ञों की टीम गठित की जाय। उन्होंने पिछले गंगा समग्र के कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी स्वयं आये थे। उन्होंने हर स्तर पर सहयोग का आश्वासन दिया है, लेकिन बिना नागरिकों के भागीदार बने कोई सरकार और समाज अपने सृजनात्मक लक्ष्य को आसानी से प्राप्त नहीं कर सकती।