डॉ रमाकांत शुक्ला को संस्कृत और हिन्दी दोनों में हासिल थी महारतः डॉ वाचस्पति मिश्र
- उ.प्र. संस्कृत संस्थान ने डॉ. रमाकांत को किया था पुरस्कृत
लखनऊ। संस्कृत विद्वान और कवि डॉ रमाकांत शुक्ला का लखनऊ से भी गहरा नाता रहा है। उन्होंने यहां उप्र संस्कृत संस्थान की ओर से पुरस्कृत किया गया था। साल 2012 में उन्हें महर्षि नारद पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बताते चलें कि डॉ रमाकांत का बुधवार को रेलगाड़ी से झारखण्ड जाते समय निधन हो गया। उनके निधन से संस्कृत के विद्वानों में शोक की लहर दौड़ गई है।
उप्र संस्कृत संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र ने बताया कि अभी दो दिन पहले दिल्ली में एक समारोह में उनके साथ ही थे। डॉ शुक्ला ने हमसे कहा कि संस्कृत कवियों की उनकी आवाज में संरक्षित कर लो। अध्यक्ष डॉ वाचस्पति बताते हैं कि बुधवार की इस विषय पर चर्चा ही कर रहा था, कि उनके न रहने की खबर मिल गई।
डॉ वाचस्पति मिश्र बताते हैं कि रमाकांत ही ऐसे संस्कृत कवि थे जिनको संस्कृत और हिन्दी में महारत हासिल थी। उनकी पुस्तक ‘भांति में भारतम्‘ पर दिल्ली दूरदर्शन की ओर से धारावाहिक भी प्रसारित हो चुका है। उ.प्र. संस्कृत संस्थान की ओर से भी उन्हें पुरस्कृत किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि डॉ. शुक्ला की कविताएं सरल ओर सीधे में समझ में आने वाले थी। संस्कृत का कम जानकार व्यक्ति भी उनकी कविताओं का आनंद उठा सकता था।
संस्कृत संस्थान में कार्यरत संस्कृत विद्वान जगदानंद झा बताते हैं कि डॉ. रमाकांत शुक्ला की आवाज बहुत अच्छी थी। जब वह कविता पाठ करते थे तो लोग सुनते रह जाते थे। उनके निधन से संस्कृत जगत में शोक की लहर व्याप्त हो गई है।