उत्तर प्रदेशलखनऊ

स्वतंत्रता संग्राम में डा. आम्बेडकर ने संघर्ष कियाः भागय्या

  • संघ का प्राण है सामाजिक समरसता

लखनऊ। स्वतंत्रता संग्राम में भारत रत्न डा. भीमराव आम्बेडकर ने अंग्रेजों से संघर्ष किया। प्रथम गोलमेज सम्मेलन में डा.आम्बेडकर ने कहा था कि जितनी जल्दी हो सके अंग्रेज भारत छोड़ दें। हम अपनी समस्याएं स्वयं सुलझा लेंगे। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य भागय्या ने लखनऊ में संघ कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए कही।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य भागय्या ने कहा कि प्रथम गोलमेज सम्मेलन में जाने पर भी डा. आम्बेडकर ने अंग्रेजों को लताड़ा था। डा. आम्बेडकर ने कहा था कि ब्रिटिश हुकूमत ने हमारी हालत सुधारने और हमारे अधिकार दिलाने के लिए क्या किया। पहले हमें पुलिस विभाग में और सैनिक सेवा में भर्ती नहीं किया जाता था, अब भी वही स्थिति है। ऐसी सरकार हम नहीं चाहते। अपने दुख हम स्वयं दूर कर लेंगे। इसके लिए हमें स्वराज्य चाहिए और हमारे हाथ में सत्ता की बागडोर चाहिए।

उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता संघ का प्राण है। संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरूजी और तृतीय सरसंघचालक बाला साहब देवरस ने समरसता को लेकर काम किया। इसलिए छुआछूत कलंक है। यह संदेश घर-घर पहुंचाना अपना काम है। उन्होंने कहा कि अस्पृश्यता का कारण गरीबी नहीं है। यह हिन्दू समाज का दोष है। इसे मन से स्वीकार करना पड़ेगा। धर्म के आधार पर जीवनमूल्यों के आधार पर इसे दूर करने का प्रयास करना होगा।

भागय्या ने कहा कि समय-समय पर देश के विभिन्न भागों में सामाजिक समरसता के निर्माण के लिए अनेक संत महापुरुषों ने काम किया लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सामाजिक समरसता के लिए अब देशभर में एक साथ सामूहिक प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह मन का अंकार है। धर्म को न समझने के कारण समाज में यह दोष है। यह सहभोज से नहीं सहजभोज से परिवर्तन आयेगा। भागय्या ने कहा कि केवल सेवाकार्यों से समरसता नहीं आयेगी। शैक्षणिक, सांस्कृति व आर्थिक विकास के लिए प्रयास करना होगा।

मित्रता व संबंधों के आधार पर समरसता आती है। व्यवहार में व आचरण में समरसता का भाव लाना होगा। क्षमता के अनुसार सहभागिता चाहिए। संबंध सम्मान सहभाग के कारण समरसता निर्माण होगी। समाज में सहज परिवर्तन आना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुगलों से पग-पग पर लड़ने का काम अनुसूचित समाज के बंधुओं ने किया। आज हिन्दू समाज में शत्रु खड़ा करने का प्रयास हो रहा है। समाज के संगठित होकर आगे बढ़ने का अच्छा अवसर है।

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