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बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह को बड़ा झटका,नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर के अपहरण मामले में कोर्ट ने खारिज की याचिका

जौनपुर की मल्हनी विधानसभा सीट से 2022 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह को अपर सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का अपहरण करनें, रंगदारी मांगने और धमकी देनें के आरोप में कोर्ट ने बाहुबली धनंजय सिंह और उनके करीबी संतोष विक्रम सिंह को बरी करने वाले प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए 2 अप्रैल की तारीख नियत कर रखी है. इस प्रकार बाहुबली धनंजय सिंह पर फिर एक बार जेल जाने का खतरा मंडराने लगा है.

बता दें कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में JDU ने धनंजय सिंह को जौनपुर की मल्हनीं विधानसभा से उम्मीदवार बनाया था. हालांकि समाजवादी पार्टी के लकी यादव नें धनंजय को दुबारा हराकर मल्हनी से जीत दर्ज की है.

क्या है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले निवासी वादी व नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल नें 10 मई 2020 को बाहुबली धनंजय और उनके करीबी संतोष विक्रम सिंह पर अपहरण करनें, रंगदारी मांगने और धमकी देने के मामले में लाइन बाजार थाने में केस दर्ज कराया था. वादी का आरोप था कि धनंजय सिंह ने कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करनें के लिए दबाव बनाया. मना करने पर धनंजय के करीबी संतोष विक्रम अपने दो साथियों के साथ जाकर वादी का अपहरण करके धनंजय के घर ले गए वहां उनसे धनंजय ने मारपीट की और पिस्टल से जान से मारने की धमकी भी दी.

बाहुबली धनंजय को जौनपुर पुलिस ने गिरफ्तार कर भेजा था जेल

घटना के बाद वादी ने लाइन बाजार थानें में धनंजय सिंह और उनके करीबी के खिलाफ केस दर्ज कराया था, जिसके बाद रात 2 बजे पुलिस ने धनंजय सिंह और उनके करीबी संतोष विक्रम को जौनपुर के कालीकुत्ती स्थित आवास से गिरफ्तार करके 11 मई को जेल भेज दिया था. हालांकि बाद में हाईकोर्ट से जमानत मिलनें के बाद धनंजय जेल से बाहर आ गये.

केस दर्ज करानें के बाद मुकर गया था वादी

बाहुबली धनंजय सिंह पर अपहरण करने, रंगदारी मांगने और धमकी देने का केस दर्ज कराने के बाद वादी अभिनव सिंघल आचानक मुकर गए थे. उन्होंने कोर्ट में अपने अधिवक्ता के माध्यम से प्रार्थनापत्र देकर मानसिक तनाव में आकर पूर्व सांसद व उनके करीबी पर मुकदमा दर्ज कराने की कही थी. वादी ने कहा था कि उसका धनंजय सिंह ने अपहरण नहीं किया, न ही ऐसी कोई घटना हुई. लेकिन कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए वादी के प्रार्थनापत्र पर विचार नहीं किया.

दबाव डालकर वादी से दर्ज करवाया गया मुकदमा

केस दर्ज होने के बाद आरोपी धनंजय सिंह नें आरोप लगाया था कि वादी अभिनव सिंघल से साजिश के तहत दबाव डालकर उनके ऊपर मुकदमा दर्ज कराया गया. उस समय धनंजय सिंह ने राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव पर साज़िश के तहत मुकदमा दर्ज कराकर जेल भेजवाने का आरोप लगाया था. पिछली तारीख पर भी धनंजय और उनके करीबी संतोष विक्रम ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा कि वादी पर दबाव डालकर मुकदमा दर्ज कराया गया. पुलिस ने विवेचना में उन्हें क्लीन चिट दे दिया. लेकिन बाद में क्षेत्राधिकारी नें पुनः विवेचना का आदेश पारित किया. आरोप है कि उच्चाधिकारियों के दबाव में बिना किसी पक्ष के आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया गया.

बाहुबली धनंजय और उनके करीबी संतोष विक्रम के अधिवक्ता की दलील थी कि वादी नें पुलिस को दिए गए बयान और 164 के बयान में घटना के बारे में कहा कि उनके साथ ऐसा कुछ नही हुआ है. इसलिए आरोपियों के अधिवक्ता नें आरोपी धनंजय सिंह और संतोष विक्रम को कोर्ट से साक्ष्यों के आभाव में बरी करनें के लिए प्रार्थना पत्र दिया था. लेकिन एडीजीसी अरुण पाण्डेय और सतीश रघुवंशी ने कोर्ट में लिखित आपत्ति दाखिल कर कहा कि वादी की तहरीर के आधार पर ही केस दर्ज हुआ था. अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलें सुननें के बाद आरोपियों के अधिवक्ता द्वारा दिया गया प्रार्थना पत्र निरस्त करते हुए आरोपी धनंजय सिंह और उनके करीबी संतोष विक्रम के खिलाफ आरोप तय करनें के लिए 2 अप्रैल की तारीख नियत कर दी है.

अजीत सिंह हत्याकांड में भी सुर्खियों में रहे धनंजय

बाहुबली धनंजय सिंह का नाम आपराधिक घटनाओं में सामनें आने की वजह से लगातार सुर्खियों में रहा. लखनऊ में हुए अजीत सिंह हत्याकांड में भी धनंजय सिंह का नाम आया. पुलिस नें धनंजय के फरार होने पर उनके ऊपर 25 हज़ार का इनाम भी घोषित किया था. कोर्ट के आदेश पर लखनऊ पुलिस द्वारा धनंजय के पैतृक आवास जौनपुर के बंसफा में धारा 82 की कार्रवाई भी हो चुकी, इन सबके बीच गौर करनें वाली बात ये रही कि धनंजय सिंह यूपी पुलिस को कभी नही दिखे. इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी धनंजय का जौनपुर में क्रिकेट खेलते हुए वायरल वीडियो को ट्वीट करके कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया था.

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