आशीष मिश्रा को सभी मामलों में मिली ज़मानत, आज शाम हो सकता है जेल से रिहा; 129 दिनों से जेल में है बंद
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में पिछले साल अक्टूबर में हुई हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को जमानत मिलने के बाद जेल से रिहा किया जा सकता है. असल इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आशीष मिश्रा की जमानत के आदेश में 302 और 120 बी की धाराएं जोड़कर नया आदेश जारी किया है. वहीं इससे पहले अदालत ने उन्हें सभी धाराओं में जमानत नहीं दी थी. लेकिन माना जा रहा है कि नए आदेश के बाद आशीष मिश्रा को कल तक रिहा किया जा सकता है.गौरतलब है कि इस मामले में आशीष मिश्रा पिछले 129 दिनों से जेल में बंद है.
दरसअल, पुलिस ने अदालत में दायर आरोपपत्र में आशीष मिश्र पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 326, 34, 427 और 120 बी के साथ-साथ आर्म्स एक्ट की धारा 3/25, 5/27 और 39 लगाई थी. वहीं कोर्ट ने अपने आदेश में आईपीसी की धारा 147 148, 149, 307, 326 और 427 के साथ-साथ आर्म्स एक्ट की धारा 34 और 30 के तहत आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी. लेकिन कोर्ट ने जो आदेश दिया था, उसमें आईपीसी की धारा 302 और 120 बी का कोई जिक्र नहीं किया था. गौरतलब है कि ये दोनों धाराएं हत्या और आपराधिक साजिश से संबंधित हैं.
जानिए क्या है लखीमपुर हिंसा केस
पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी. किसान यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र के दौरे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने जा रहे थे. वहीं एसयूवी की चपेट में आने से चार किसानों की मौत हो गई और इसके बाद गुस्साए किसानों ने एक पत्रकार, एक ड्राइवर और दो बीजेपी कार्यकर्ताओं की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी. जिसके बाद इस मामले ने सियासी रंग ले लिया था और विरोधी दलों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. जिसके बाद आशीष मिश्रा को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
129 दिनों से जेल में बंद है आशीष
असल में 3 अक्टूबर को हुई तिकुनिया हिंसा में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाया गया था और उसे 8 अक्टूबर को पूछताछ के लिए पुलिस लाइन बुलाया गया था. पुलिस ने बाद में आशीष को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद से ही वह जेल में बंद है और पिछले 129 दिन से जेल में है. वहीं आशीष के साथी भी जेल में ही बंद है. फिलहाल 10 फरवरी को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से आशीष मिश्र को जमानत मिल गई थी. लेकिन उसमें धारा 120 बी और 302 की धारा का जिक्र नहीं था. जिसके बाद आज करेक्शन ऑर्डर पर सुनवाई हुई.